![कल्बे, वहीदुद्दीन, गोगोई, पद्म](https://i1.wp.com/hindi.opindia.com/wp-content/uploads/sites/6/2021/01/Maulana-Wahiduddin-Khan-Kalbe-Sadiq-Tarun-Gogoi.jpg?fit=696%2C392&ssl=1)
--- हिंदुओं को धमकी देने वाले के अब्बा, मोदी को 420 कहने वाले मौलाना और कॉन्ग्रेस नेता: ‘लोकतंत्र की हत्या’ गैंग के मुँह पर 3 पद्म अवॉर्ड्स लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस वर्ष के पद्म पुरस्कारों की घोषणा की। कुल 119 लोगों को इन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें से 7 को देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण मिला। पद्म पुरस्कारों में 3 नाम ऐसे भी हैं, जो सबका ध्यान खींच रहे हैं। वो तीन नाम हैं – मौलाना वहीदुद्दीन खान (पद्म विभूषण), तरुण गोगोई (पद्म भूषण) और कल्बे सादिक (पद्म भूषण)।
खान और सादिक को ये सम्मान अध्यात्म (Spiritualism) के क्षेत्र में किए गए उनके कार्यों के लिए मिला है, वहीं 15 वर्षों तक असम के मुख्यमंत्री रहे गोगोई को समाज सेवा के लिए किए गए उनके कार्यों के लिए ये सम्मान मरणोपरांत मिला। वो सबसे ज्यादा लंबे समय तक असम के सीएम का कार्यभार संभालने वाले नेता थे और राज्य में हिंसक समूहों को नियंत्रित करने में उनकी भूमिका थी। वो केंद्र में मंत्री भी रहे थे।
वहीं 96 वर्षीय मौलाना वहीदुद्दीन खान इस्लामी स्कॉलर हैं जो शांति के लिए कार्य करने का दावा करते हैं। उन्होंने कुरान शरीफ की व्याख्या भी लिखी है और उसे अंग्रेजी में भी अनुवादित किया है। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ और ‘द मुस्लिम’ ने दुनिया भर के प्रभावशाली मुस्लिमों की सूची में उन्हें रखा है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ स्थित बड़हरिया गाँव में हुआ था। वो इस्लाम से जुड़ी उर्दू और अंग्रेजी पत्रिका भी चलाते हैं।
जहाँ तक कल्बे सादिक की बात है, वो अपने अनुयायियों में इस्लामी उपदेशक, सुधारक और शिक्षाविद के रूप में जाने जाते रहे हैं। लखनऊ के एक शिया परिवार में उनका जन्म हुआ था। उन्हें भी ये सम्मान मरणोपरांत मिला है। उनकी मृत्यु नवंबर 24, 2020 को हो गई थी। उन्होंने AMU से आर्ट्स में स्नातक किया था। एक समय मल्टीपल वीजा होने के कारण अमेरिका ने उन्हें एंट्री नहीं दी थी और लंदन भेज दिया था।
मौलाना कल्बे सादिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचक थे और उन्होंने मई 2015 में मोदी सरकार के 1 वर्ष पूरा होने पर कहा था, “एक वर्ष के लिए मैं केंद्र की मोदी सरकार को 420 नंबर देता हूँ। यह सरकार 420 से भरी हुई है। जो कहती है वो करती नहीं है। मोदी सरकार खुद भ्रष्टाचार में फँसी हुई है। अगर ऐसा नहीं है तो कब का काला धन देश में वापस आ गया होता।” उन्होंने सपा के आज़म खान की तारीफ की थी और पीएम मोदी को बड़े-बड़े वादे करने वाला बताया था।
Hearty congratulations to all #PadmaAwards recipients. Once again PM @narendramodi Govt recognises the talents , achievers & unsung heroes from across the country .
— B L Santhosh (@blsanthosh) January 25, 2021pic.twitter.com/xCQfIKFTKD
मौलाना वहीदुद्दीन के बेटे हैं जफरुल इस्लाम खान, जो जम्मू कश्मीर से लेकर CAA तक के मुद्दों पर मोदी सरकार के खिलाफ अभियान चलाते रहे हैं। जफरुल इस्लाम ने भारत के हिन्दुओं को अरब का धौंस दिखाया था। वो दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने कहा था, “भारत के मुस्लिमों ने अरब जगत से कट्टर हिन्दुओं द्वारा हो रहे ‘घृणा के दुष्प्रचार, लिंचिंग और दंगों’ को लेकर कोई शिकायत नहीं की है और जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन अरब के लोग एक आँधी लेकर आएँगे, एक तूफ़ान खड़ा कर देंगे।”
ज़िंदगी भर कॉन्ग्रेस की राजनीति करने वाले पूर्वोत्तर के तरुण गोगोई, नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले और उन पर व उनकी सरकार पर आरोप लगाने वाले कल्बे सादिक और हिन्दुओं को अरब देशों का डर दिखाने वाले जफरुल इस्लाम के बूढ़े अब्बा मौलाना वहीदुद्दीन खान – मोदी सरकार ने इन तीनों को शीर्ष 2 पद्म पुरस्कारों से सम्मानित कर के उनका मुँह बंद कर दिया है जो देश में लोकतंत्र न होने और मोदी द्वारा ‘विरोधियों के दमन’ का राग छेड़ते रहते हैं।
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