यूपीएससी: 2020 में अंतिम परीक्षा से चूकने वालों को कोई मौक़ा नहीं: SC

यूपीएससी के जिन अभ्यर्थियों ने 2020 में परीक्षा में अपने आख़िरी प्रयास का इस्तेमाल कर लिया है उनको अब कोई दूसरा मौक़ा नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह फ़ैसला एक याचिका पर दिया है। याचिका में कोरोना वायरस महामारी को कारण बताते हुए कहा गया था कि उन्हें एक और मौक़ा दिया जाए और उम्र सीमा में भी छूट दी जाए। 

ये याचिकाकर्ता वे थे जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षा 2020 में अपना अंतिम मौक़ा इस्तेमाल कर लिया था। उन्होंने कोरोना महामारी और लॉकडाउन से पैदा हुई कठिनाइयों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि महामारी ने उनकी तैयारी को प्रभावित किया और अतिरिक्त प्रयास की मांग की। 'लाइव लॉ' की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने अब याचिका को खारिज कर दिया है। इसी मामले में पहले केंद्र सरकार इस बात पर सहमत हो गई थी कि वह ऐसे अभ्यर्थियों को एक अतिरिक्त मौक़ा देगी।

9 फ़रवरी को अंतिम सुनवाई में केंद्र की ओर से कहा गया कि उम्मीदवारों को 2020 में परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। सरकार की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि कोरोना के कारण होने वाली कठिनाइयाँ सभी उम्मीदवारों को समान रूप से प्रभावित करती हैं और यदि अंतिम प्रयास करने वाले उम्मीदवारों को अतिरिक्त मौक़ा दिया जाता है तो अन्य उम्मीदवार भी वही माँग करने लगेंगे।

इससे पहले केंद्र ने उन अभ्यर्थियों को एक अतिरिक्त मौक़ा देने के लिए एक प्रस्ताव दिया था, जो आयु सीमा के अंतर्गत थे। हालाँकि, याचिकाकर्ताओं ने उम्र में छूट के लिए भी तर्क दिया। इसके बाद बेंच ने मामले की सुनवाई करने का फ़ैसला किया था।

इससे पहले 5 फ़रवरी को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केंद्र और यूपीएससी ने उन 'संभावित उम्मीदवारों को एक बार सीमित छूट' देने के लिए सहमति व्यक्त की, जिन्होंने अक्टूबर 2020 में यूपीएससी परीक्षा का अंतिम प्रयास दिया था और जो आयु सीमा में ही थे।

जबकि उससे पहले 25 जनवरी को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए एक हलफनामा दायर किया था कि उम्मीदवारों को एक अतिरिक्त मौक़ा नहीं दिया जाएगा। इसमें यह कहा गया था कि एक अतिरिक्त अवसर का प्रावधान एक भेदभाव वाला व्यवहार पैदा करेगा।

इससे पहले 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया था कि वे उम्मीदवारों को एक अतिरिक्त मौक़ा देने पर विचार करें।

बता दें कि कोरोना महामारी के कारण सिविल सेवा स्तर की परीक्षाएँ तो बाधित हुई हीं, स्कूल-कॉलेजों में भी लगभग पूरे साल तक पढ़ाई नहीं हो सकी। बीते कुछ दिनों में कई राज्यों में स्कूलों-कॉलेजों को खोला गया है और कई राज्य इन्हें खोले जाने की तैयारी कर रहे हैं। 

कोरोना की वैक्सीन आने के बाद लोगों में इस महामारी का ख़ौफ़ कम हुआ है और बीते कुछ महीनों में काम-धंधे फिर से शुरू हुए हैं। हालांकि सरकार ने लोगों को चेताया है कि वे कोरोना प्रोटोकॉल से जुड़े नियमों का लगातार पालन करते रहें और बिलकुल भी ढिलाई न करें। देश भर में इन दिनों पहले चरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना की वैक्सीन लगाई जा रही है।



https://ift.tt/3cIldeN
Previous
Next Post »

Please don't enter any spam link in comment box ConversionConversion EmoticonEmoticon