31 वर्षों बाद खुला श्रीनगर का शीतल नाथ मंदिर: इस्लामी आतंकियों ने जला डाला था, विशेष पूजा के साथ दर्शन चालू

शीतल नाथ मंदिर, श्रीनगर

--- 31 वर्षों बाद खुला श्रीनगर का शीतल नाथ मंदिर: इस्लामी आतंकियों ने जला डाला था, विशेष पूजा के साथ दर्शन चालू लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---

श्रीनगर का शीतल नाथ मंदिर पिछले 31 वर्षों से बंद पड़ा हुआ था, जिसे मंगलवार (फरवरी 16, 2021) को वसंत पंचमी के मौके पर खोला गया। इस मंदिर को इस्लामी आतंकवाद और हिन्दुओं के पलायन के कारण बंद किया गया था। ये मंदिर जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के हब्बा कदल क्षेत्र में स्थित है। मंदिर को 3 दशकों बाद पुनः खोलने के बाद श्रद्धालुओं ने यहाँ विशेष पूजा का भी आयोजन किया।

मंदिर में पूजा करने आए एक श्रद्धालु संतोष राजदान ने कहा कि स्थानीय लोगों ने इस मंदिर को खोलने में बड़ी भूमिका निभाई है। वहीं कई लोग इसे ‘नया जम्मू कश्मीर’ का कमाल भी बता रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तो मुस्लिमों ने भी मंदिर को खोलने में मदद की है। यहाँ आसपास पहले काफी सारे हिंदू रहा करते थे, जिन्हें इस्लामी आतंकवाद के कारण पलायन करना पड़ा था। अब यहाँ दर्शन चालू हो गया है।

शीतल नाथ मंदिर में आयोजित पूजा के आयोजकों में से एक रवींद्र राजदान ने कहा कि स्थानीय लोगों ने मंदिर की साफ़-सफाई में खासी मदद की है। पहले प्रत्येक वर्ष इस तरह की पूजा की जाती थी। बाब शीतल नाथ भैरों की जयंती भी वसंत पंचमी के दिन ही पड़ती है, इसीलिए ये दिन श्रद्धालुओं के लिए विशेष है। जब कश्मीरी पंडित यहाँ रहा करते थे, तब वो नियमित रूप से यहाँ पूजा-पाठ किया करते थे।

शीतल नाथ मंदिर से ग्राउंड रिपोर्ट (वीडियो साभार: Times Now)

यहाँ अब आसपास कोई हिंदू परिवार नहीं बचा है। रवींद्र राजदान इस मंदिर के सेवादार हैं, जिन्होंने इसे खोलने में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि वे इस जगह के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि इस मंदिर को 1991 में जला दिया गया था। उन्होंने कहा कि 3 दशक पहले यहाँ मेला लगा करता था और दुकानें सजती थीं। उन्होंने बताया कि अब हम फिर उसी महिमा को वापस लाना चाहते हैं, जिसके लिए सरकार की भी मदद चाहिए।

उन्होंने कहा, “ये कश्मीरी पंडितों का निवास स्थान है। हम चाहते हैं कि हम यहाँ आएँ और रहें। उसी वैभव के साथ, जैसे पहले हम यहाँ निवास किया करते थे। लेकिन, राज्य और केंद्र सरकारों को भी हमें इसके लिए सहायता करनी चाहिए। स्थिति ऐसी बनाई जानी चाहिए, ताकि हम यहाँ रहने लायक बनें। सरकारें सिर्फ वादा करती हैं, लेकिन वादों से पेट नहीं भरता है।” उन्होंने उम्मीद जताई कि कश्मीरी पंडितों की वापसी होगी।



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