आजाद भारत में फाँसी पाने वाली पहली महिला होगी शबनम: सलीम के प्यार में अपने ही परिवार के 7 लोगों को कुल्हाड़ी से काट डाला था

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--- आजाद भारत में फाँसी पाने वाली पहली महिला होगी शबनम: सलीम के प्यार में अपने ही परिवार के 7 लोगों को कुल्हाड़ी से काट डाला था लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---

स्वतंत्र भारत में किसी पहली महिला कैदी को फाँसी देने की तैयारी चल रही है। आज़ाद भारत के इतिहास में आज तक किसी महिला अपराधी को फाँसी की सजा नहीं दी गई। उत्तर प्रदेश के मथुरा में राज्य का इकलौता फाँसीघर है, जहाँ ये कार्रवाई पूरी की जाने की तैयारी चल रही है। उक्त महिला कैदी का नाम शबनम है, जिसने अपने प्रेमी के साथ मिल कर अपने ही परिवार के 7 लोगों की कुल्हाड़ी से काट कर बेरहम हत्या कर दी थी।

निर्भया के आरोपितों को फाँसी पर लटकाने वाले पवन जल्लाद फाँसी देने की प्रक्रिया पूरी करेंगे। उन्होंने मथुरा के महिला फाँसीघर में चल रही तैयारियों का दो बार जायजा भी लिया है। हालाँकि, अभी फाँसी की तारीख़ नहीं तय की गई है। अमरोहा की रहने वाले शबनम ने 2008 में इस वारदात को अंजाम दिया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शबनम को मिली सजा बरकरार रखी थी और राष्ट्रपति भी उसकी दया याचिका ख़ारिज कर चुके हैं।

मथुरा जेल में यूँ तो आज से 150 वर्ष पूर्व ही फाँसीघर तैयार कर लिया गया था, लेकिन आज़ादी के बाद अब तक ऐसा नहीं हुआ कि किसी महिला अपराधी को फाँसी दी गई हो। वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने कहा कि डेथ वारंट जारी होने के बाद तारीख तय कर के शबनम को फाँसी दे दी जाएगी। तख्ता-लीवर में पवन जल्लाद को कमी दिखी, जिसे ठीक करवाया जा रहा है। बिहार के बक्सर से फाँसी के लिए फंदा आएगा, जबकि रस्सी मनीला से लाई जाएगी।

38 वर्षीय शबनम का 12 साल का एक बेटा भी है। गिरफ़्तारी के वक़्त गर्भवती रही शबनम ने जेल में ही बेटे को जन्म दिया था। वो 7 वर्ष तक जेल में ही पला-बढ़ा, जिसके बाद अब वो एक व्यक्ति की देखरेख में है। शबनम फ़िलहाल रामपुर की जेल में बंद है। 15 वर्ष पूर्व बुंदेलखंड की रामश्री को फाँसी दी जानी थी, लेकिन महिला संगठनों के हंगामें के बाद सजा उम्रकैद में बदल दी गई थी। कल्लू जल्लाद ने तब तैयारियाँ भी पूरी कर ली थी।

बावनखेड़ी गाँव के मास्टर शौकत अली की बेटी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 14-15 अप्रैल, 2008 की रात को अपने ही घर में 7 खून किए थे। उसने अपने माता-पिता, दो भाई, एक भाभी, मौसी की लड़की और मासूम भतीजे को मार डाला था। अब 1870 में निर्मित मथुरा के महिला फाँसीघर में उसे उसके गुनाहों की सज़ा मिल सकती है, अगर बीच में कोई अड़चन न आए। प्रशासन तैयारियों में लगा है।

एमए पास शबनम उस समय गाँव के स्कूल में शिक्षा मित्र थीं। मास्टर शौकत उसकी शादी किसी पढे़-लिखे लड़के से करना चाहते थे। लेकिन, शबनम का दिल अपने गाँव के 8वीं पास सलीम पर आ चुका था। दोनों का प्यार इतना परवान चढ़ा कि शबनम ने अपने घरवालों को नशे की दवाई देकर सलीम को हर रात घर पर बुलाना शुरू कर दिया। कुछ दिनों में दोनों ने परिवार को बाधा मानकर उन्हें खत्म करने की साजिश रची और फिर एक रात इस खौफनाक वारदात को अंजाम दे दिया।



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