पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुए 14 हज़ार करोड़ के घोटाले में वांछित नीरव मोदी को भारत को प्रत्यर्पण किए जाने को लेकर ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर अदालत आज फ़ैसला सुनाएगी।
नीरव मोदी को मार्च, 2019 में गिरफ़्तार किया गया था और तब से उन्हें भारत लाने की कोशिशें चल रही हैं। पीएनबी मामले में नीरव के ख़िलाफ़ सीबीआई और ईडी दोनों ही जांच कर रही हैं। उन पर सबूतों से छेड़छाड़ करने और गवाहों को धमकाने के भी मुक़दमे दर्ज हैं। कई बार की कोशिशों के बाद भी नीरव मोदी को जमानत नहीं मिल सकी थी।
फरवरी, 2019 में 'द टेलीग्राफ़' अख़बार ने नीरव मोदी को ढूंढ निकाला था। अख़बार का कहना था कि ब्रिटेन के वर्क एंड पेंशन विभाग ने नीरव मोदी को नया बीमा नंबर दिया है, इसका मतलब यह है कि वह ब्रिटेन में रह सकते हैं और कारोबार भी कर सकते हैं।
पीएनबी घोटाले के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले मेहुल चौकसी ने एंटिगा की नागरिकता ले ली है। मेहुल चौकसी का प्रत्यर्पण होना मुश्किल है क्योंकि एंटिगा के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है।
सरकार पर उठे थे सवाल
2019 में नीरव मोदी के पकड़े जाने के बाद ब्रिटेन के अधिकारियों ने कहा था कि लंदन स्थित सीरियस फ़्रॉड ऑफ़िस (एसएफ़ओ) की ओर से नीरव मोदी को भारत वापस लाने के संबंध में कई बार जानकारियां मांगी गईं, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया।
ब्रिटेन की ओर से एक क़ानूनी टीम ने भी नीरव मोदी के ख़िलाफ़ कार्रवाई में मदद करने के लिए भारत आने की पेशकश की थी, लेकिन भारत की ओर से उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी।
38 डिफ़ॉल्टर देश छोड़कर भागे
सितंबर, 2020 में मोदी सरकार ने संसद में आर्थिक अपराध कर भागने वाले लोगों के बारे में बताया था कि 5 साल में 38 विलफुल डिफ़ॉल्टर बैंकों को चूना लगाकर विदेश भाग गए हैं। विलफुल डिफ़ॉल्टर का मतलब कि जान-बूझकर अपराध करने वाले।
सरकार ने कहा था कि आर्थिक अपराध करने वाले 20 भगोड़ों के ख़िलाफ़ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया है और 14 देशों से ऐसे अपराधियों का प्रत्यर्पण करने का अनुरोध किया गया है।
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी लगभग हर रैली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मंच से विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी जैसे कई और विदेश भाग जाने वालों का जिक्र करते रहे। राहुल गांधी इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मित्र भी बताते रहे। इन तीनों का ही नाम इन 38 डिफ़ॉल्टर्स की सूची में शामिल है।
मोदी सरकार इसे लेकर हमेशा घिरी रही कि आख़िर कैसे ये डिफ़ाल्टर्स देश का पैसा हड़पकर आसानी से भाग गए और अब आने के लिए तैयार नहीं दिखते।
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