--- ‘टूलकिट से नहीं हुई हिंसा, वैश्विक जनता तक बात पहुँचाना अपराध नहीं’: दिशा रवि को जमानत देते समय जज ने सुनाए ऋग्वेद के श्लोक लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---
जैसा कि ख़बरों में चल रहा है, अदालत ने कथित पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि को टूलकिट मामले में जमानत दे दी है। दिल्ली के पटियाला हाउस सेशन कोर्ट ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक ही सरकार के अंतःकरण के रखवाले हैं। कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को सिर्फ इसीलिए जेल में नहीं डाला जा सकता क्योंकि उन्होंने सरकार की नीतियों से असहमति जताई है। एडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने ये फैसला सुनाया।
कोर्ट ने इन चीजों को स्वस्थ लोकतंत्र की निशानी करार दिया। साथ ही प्राचीन भारत का भी उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी 5000 वर्षों पुरानी सभ्यता कभी भी समाज के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले विचारों के विरोध में नहीं रही है। जज ने इस दौरान ऋग्वेद के एक श्लोक का उद्धरण देकर भी दावा किया कि ये हमारी सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है और साथ ही विभिन्न विचारों के प्रति सम्मान को दिखाता है।
आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः। देवा नोयथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवेदिवे॥
उक्त श्लोक (ऋग्वेद 1.89.1) का अर्थ है – “हमारे पास चारों ओर से ऐंसे कल्याणकारी विचार आते रहें जो किसी से न दबें, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके एवं अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हों। प्रगति को न रोकने वाले और सदैव रक्षा में तत्पर देवता प्रतिदिन हमारी वृद्धि के लिए तत्पर रहें।” कोर्ट ने कहा कि ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ का रथ है कि वैश्विक जनता तक अपनी बात पहुँचाना।
कोर्ट ने कहा कि सूचनाओं के आदान-प्रदान में कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती है। साथ ही कहा कि संचार-व्यवस्था को प्राप्त करने या कहीं पहुँचाने की अनुमति कानून भी देता है। कोर्ट ने कहा कि किसी सहज टूलकिट का एडिटर होना या फिर व्हाट्सप्प ग्रुप बनाना गुनाह नहीं है। कोर्ट ने दिशा द्वारा वेब हिस्ट्री डिलीट करने वाले तथ्य को भी बेमतलब का बताया। साथ ही कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली पुलिस ने ही विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी थी।
“The offence of sedition cannot be invoked to minister to the wounded vanity of the governments”.
— Live Law (@LiveLawIndia) February 23, 2021
कोर्ट ने कहा कि दिशा रवि को अलगाववादी विचारधारा का साबित करने के लिए कोई सबूत मौजूद नहीं है। कोर्ट ने ये भी कहा कि इस टूलकिट की वजह से किसी भी भारतीय दूतावास के पास हिंसा की कोई वारदात भी नहीं हुई। कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि सरकार के टूटे दंभ पर मरहम लगाने के लिए देशद्रोह का मामला नहीं चलाया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि टूलकिट का PFJ से भी कोई लिंक नहीं मिला।
दिल्ली पुलिस का दावा है कि कनाडा के पोएटिक जस्टिक फाउंडेशन से जुड़ा एमओ धालीवाल भारत में किसानों की आड़ में माहौल खराब करने की फिराक में था। अगर वो सीधे कोई कार्रवाई करता तो एक्सपोज़ हो जाता इसलिए उसने भारत मे कुछ चेहरों का सहारा लिया। दिशा रवि ने टूलकिट में एडिट किया है। इनका सहयोगी शान्तनु दिल्ली आया था और 20 से 27 तक दिल्ली में था। दिशा रवि को 1 लाख के मुचलके पर जमानत दी गई।
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