क्या होता है टूलकिट, क्यों हंगामा मचा है ग्रेटा के टूलकिट पर?

दिल्ली पुलिस ने बेंगलुरु की सामाजिक व पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को यह कह कर गिरफ़्तार कर लिया कि उन्होंने भारत में चल रहे किसान आन्दोलन से जुड़े ग्रेटा तनबर्ग के टूलकिट को एडिट कर कई लोगों को भेजा। उसके बाद से ही टूलकिट पर चर्चा होने लगी। सत्तारूढ़ बीजेपी के लोगों ने टूलकिट को ही मुद्दा बनाया है और इसे इस तरह प्रचारित किया है मानो टूलकिट बनाना ही अपने आप में गुनाह हो। एक नेता ने तो यहाँ तक कह दिया कि 'जब देश पीपीई किट बना रहा था, ये लोग टूलकिट बना रहे थे।'

सवाल उठता है कि आख़िर टूलकिट क्या होता है, कैसे बनता है और उसका क्या इस्तेमाल हो सकता है। 

क्या होता है टूलकिट

साधारण व सपाट शब्दों में कहा जाए तो टूलकिट एक गूगल डॉक्यूमेंट होता है। इसमें एक्शन प्वाइंट्स दर्ज होते हैं, यानी क्या-क्या करना है, यह लिखा जाता है। इस पर यह भी लिखा जा सकता है कि किसी समस्या के समाधान के लिए क्या-क्या किया जाना चाहिए। 

टूलकिट का इस्तेमाल मोटे तौर पर सोशल मीडिया टूल्स में किया जाता है। यह ट्विटर पर अधिक लोकप्रिय है, लेकिन फ़ेसबुक समेत दूसरे प्लैटफ़ॉर्म पर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।

कहाँ होता है टूलकिट का प्रयोग

इसका प्रयोग सोशल मीडिया कैम्पेन स्ट्रेटजी के तौर पर किया जाता है। इसके अलावा सामूहिक प्रदर्शन या आन्दोलन से जुड़ी जानकारी दी जाती है। इसमें किसी भी मुद्दे पर दर्ज याचिकाओं,  विरोध-प्रदर्शन और जनांदोलनों के बारे में जानकारी हो सकती है। 

अमेरिका में ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आन्दोलन के दौरान टूलकिट का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था। उसे लोगों से यह कहा गया था कि किसे कहाँ, कब और कैसे प्रदर्शन के लिए पहुँचना है। उन्हें बताया गया था कि वे अपने साथ क्या लाएं और पुलिस के चंगुल से कैसे बचें

इसी तरह अमेरिका के टेक्सस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में हुए हाउडी मोडी कार्यक्रम में भी इसका इस्तेमाल किया गया था। आयोजकों और उनसे जुड़े लोगों ने टूलकिट से भारतीय मूल के लोगों को विस्तार से बताया था कि उन्हें किस जगह बस मिलेगी, वे कैसे कार्यक्रम के स्थल तक जाएं, वगैरह वगैरह। 

क्या था टूलकिट में

दिशा रवि पर जो टूलकिट एडिट करने और दूसरों को भेजने के आरोप लगे हैं, उसमें क्या था, ये सवाल उठना लाज़िमी है। 

दिल्ली पुलिस ने इस टूलकिट को 'विद्रोह पैदा करने वाला दस्तावेज' बताया है और इसे तैयार करने वालों के ख़िलाफ़ धारा-124ए, 153ए, 153, 120बी के तहत मामला दर्ज किया है। 

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में दिशा रवि को गिरफ़्तार किया है और शांतनु मुलुक और निकिता जेकब के ख़िलाफ़ वारंट जारी किया है। लेकिन मुलुक और निकिता जेकब ने गिरफ़्तारी पर रोक लगाने की याचिका बंबई हाई कोर्ट में दायर की थी।

टूलकिट में कहा गया था कि इसे इसलिए बनाया गया है कि जिन लोगों को भारत के किसान आन्दोलन के बारे में जानकारी नहीं है, उन्हें पता चल सके और वे इस बारे में फ़ैसला ले सकें कि उन्हें किसानों का किस तरह समर्थन करना है।

टूलकिट में आगे कहा गया था कि ये हाशिए पर रहे किसान हैं, जिनका भारत की आज़ादी से पहले सामंती जमींदारों और औपनिवेशिक ताक़तों ने शोषण किया। यह भी कहा गया था कि बाद में 1990 के बाद वैश्वीकरण और उदारीकरण की वजह से शोषण हुआ।

 

टूलकिट में कहा गया था कि किसान आज भी भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और कर्ज के कारण हज़ारों आत्महत्याओं के बाद अब आए नए कृषि क़ानूनों ने उनकी मुसीबतों को और बढ़ा दिया है। कृषि क़ानूनों को बिना सोच-विचार किए ही पास कर दिया गया। 

 

टूलकिट में आगे कहा गया है कि किसानों के समर्थन में हैशटैग #FarmersProtest और #StandWithFarmers लगाकर ट्वीट करें। इसके अलावा सरकार के किसी प्रतिनिधि को कॉल करें या ई-मेल करें और उनसे इसे लेकर क़दम उठाने को कहें।

स्विस पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) ने पहले जो ट्वीट किया था, उसमें एक टूलकिट लगा था। उन्होंने बाद में टूलकिट हटा कर उसे फिर से ट्वीट किया और कहा था कि भारत के किसानों के साथ वे अब भी खड़ी हैं। 



https://ift.tt/36Jtg7z
Previous
Next Post »

Please don't enter any spam link in comment box ConversionConversion EmoticonEmoticon