जोशीमठ: हालात खराब, 600 परिवारों को जल्द हटाने का आदेश 

उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात लगातार खराब हो रहे हैं और इसे देखते हुए राज्य सरकार ने लगभग 600 परिवारों को वहां से तुरंत हटाने का आदेश दिया है। इन सभी लोगों के घरों में चौड़ी दरारें आ चुकी हैं और निश्चित रूप से उनका जीवन खतरे में है। स्थानीय लोगों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि पिछले साल नवंबर से अब तक लगातार शिकायत करने के बाद भी राज्य सरकार नहीं चेती और उसने समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की। 

पिछले कई दिनों से जोशीमठ के लोग सड़कों पर प्रदर्शन करने के अलावा सोशल मीडिया पर भी अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं। कई परिवार पहले ही घर छोड़ चुके हैं। 

प्रशासन ने लोगों को जिन जगहों पर शिफ्ट किया है वहां पर रहना आसान नहीं है क्योंकि लोग अपने पुराने और बड़े घरों को छोड़कर एक कमरे में रहने के लिए मजबूर हैं। प्रभावित लोग इन दिनों लगातार जोशीमठ तहसील में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। 

 - Satya Hindi

बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग में भी दरारें

केवल घरों में ही नहीं बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 58 में भी चौड़ी दरारें आ चुकी हैं और यह धंस गया है। निश्चित रूप से यह किसी बड़े खतरे का संकेत है क्योंकि इस रास्ते से बद्रीनाथ धाम से लेकर भारत-चीन सीमा के अंतिम गांव तक लोग जाते हैं। 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद भी शनिवार को जोशीमठ पहुंच रहे हैं जहां वह प्रभावित लोगों और प्रशासन के अफसरों से मुलाकात करेंगे। इसके साथ ही आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों की एक टीम भी लगातार हालात का जायजा ले रही है। मुख्यमंत्री ने प्रभावित लोगों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। 

शुक्रवार को लोग उस वक्त दहशत में आ गए जब जोशीमठ के सिंहधार वार्ड में एक मंदिर जमीन के धंसने के कारण ढह गया। जोशीमठ में जमीन लगातार धंसती जा रही है और निश्चित रूप से प्रभावित परिवारों के अलावा लगभग 25000 की आबादी वाले इस शहर में सभी की चिंताएं बढ़ गई हैं। 

होटल झुके

राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि 600 घरों के अलावा किन और जगहों पर दरारें आ रही हैं। जोशीमठ में कुछ जगहों पर होटल अपने पास की इमारतों पर झुक गए हैं और घरों में आ रही दरारों से पानी निकल रहा है। जोशीमठ पहुंचे पर्यटकों के होटलों में रुकने पर रोक लगा दी गई है। 

प्रभावित परिवारों को जोशीमठ से बाहर निकालने के लिए राज्य सरकार ने अपने चॉपर को तैयार रखा है। प्रत्येक परिवार के लिए 4000 रुपए की सहायता राशि जारी कर दी गई है। यह राशि उन्हें अगले 6 महीने तक मिलती रहेगी। लोगों को यहां से निकालकर जोशीमठ से 30 किलोमीटर दूर पीपलकोटी या 90 किलोमीटर दूर गोचर इलाके में ले जाए जाने की तैयारी है। 

 - Satya Hindi

चमोली जिला प्रशासन ने राहत केंद्रों में डॉक्टर्स व पैरामेडिकल टीम को तैनात कर दिया है। इसके अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को भी मौके पर बुला लिया गया है। 

बेतरतीब और अनियोजित विकास 

जोशीमठ में जिस तरह के हालात बने हैं उसे लेकर उत्तराखंड के दूसरे जिलों के पर्वतीय शहरों में भी चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं क्योंकि उत्तराखंड बनने के बाद से ही पहाड़ों में बेतरतीब और अनियोजित विकास हुआ है और बीते कुछ सालों में लगातार आपदाएं आती रही हैं।

जोशीमठ के स्थानीय लोग भी बेतरतीब विकास कार्यों के खिलाफ आवाज उठाते रहे लेकिन सरकारों ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया। लगातार हालात बिगड़ने के बाद जोशीमठ में एनटीपीसी और चार धाम ऑल वैदर रोड के सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई। इसके अलावा एशिया के सबसे बड़े औली रोपवे का भी निर्माण कार्य रोक दिया गया है। क्योंकि इसके नीचे कुछ दरारें देखने को मिली हैं। 

जोशीमठ के लोगों का कहना है कि एनटीपीसी की सुरंग ने पूरी जमीन को खोखला कर दिया है और दूसरी ओर बाईपास सड़क के लिए की जा रही खुदाई ने जोशीमठ की बुनियाद को हिला दिया है।

सवाल यह है कि 6000 फीट की ऊंचाई पर बसे जोशीमठ शहर के भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील सेस्मिक जोन पांच में आने के बाद भी यहां पर लगातार विकास कार्यों के नाम पर लगातार पहाड़ों को क्यों खोखला किया जा रहा है। 

राज्य सरकार ने पिछले साल नवंबर से लगातार शिकायत के बाद एनटीपीसी की सुरंग और दूसरे विकास कार्यों पर पहले ही रोक क्यों नहीं लगाई। जोशीमठ के लोग लगातार जमीन के धंसाव को लेकर सरकार से शिकायत कर रहे थे लेकिन तब सरकार ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। 

जोशीमठ के प्रकरण से सबक लेते हुए उत्तराखंड सरकार ने सभी जिलों से जोशीमठ जैसे संवेदनशील स्थलों के संबंध में रिपोर्ट मांगी है। 

केंद्र ने बनाई कमेटी

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने मांग की है कि जिन लोगों के घरों में दरारें आई हैं उन्हें सुरक्षित जगहों पर जमीन उपलब्ध कराई जाए और 4 गुना ज्यादा मुआवजा दिया जाए। हालात को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी एक कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी 3 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। बताया गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय भी जोशीमठ में जमीन के लगातार धंसने को लेकर राज्य सरकार के संपर्क में है। 



https://ift.tt/kVGChft
Previous
Next Post »

Please don't enter any spam link in comment box ConversionConversion EmoticonEmoticon