जोशीमठ संकट पर प्रधानमंत्री कार्यालय लेगा उच्च स्तरीय बैठक

जोशीमठ में जमीन धंसने, घरों की दीवारों में दरारें पड़ने और कई जगहों से पानी निकलने के बाद अब केंद्र भी ज़्यादा चिंतित दिखने लगा है। कई दिनों से स्थानीय लोगों की मांगों के बीच आख़िरकार प्रधानमंत्री कार्यालय ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव, पीके मिश्रा, कैबिनेट सचिव और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक करेंगे। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से होने वाली बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी और उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।

जोशीमठ के लोग पिछले साल नवंबर से लगातार घरों में दरारें आने की शिकायत कर रहे हैं और अब हालात ये हैं कि जिन घरों में दरारें आई हैं वहां से पानी निकलना शुरू हो गया है। एहतियात के तौर पर दो होटलों को बंद कर दिया गया है। 

जमीन धंसने की वजह से क़रीब 570 घरों में दरारें आ गई हैं। कई परिवारों ने जोशीमठ छोड़ दिया है। लेकिन अभी भी 500 से ज्यादा परिवारों के 3000 लोगों का जीवन ख़तरे में है। उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात लगातार खराब हो रहे हैं और इसे देखते हुए राज्य सरकार ने लगभग 600 परिवारों को वहां से तुरंत हटाने का आदेश दिया है। इन सभी लोगों के घरों में चौड़ी दरारें आ चुकी हैं और निश्चित रूप से उनका जीवन खतरे में है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को जोशीमठ पहुंचे और उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि सरकार की पहली कोशिश लोगों को बचाने की है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ के हालात पर कुछ संस्थाएं अध्ययन कर रही हैं और यह पता लगाया जाएगा कि आखिर दरारें क्यों आ रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सभी प्रभावित लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा रही है। उन्होंने जोशीमठ को एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थान बताया। 

स्थानीय लोगों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि पिछले साल नवंबर से अब तक लगातार शिकायत करने के बाद भी राज्य सरकार नहीं चेती और उसने समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की।

जोशीमठ बद्रीनाथ, औली और वैली ऑफ फ्लावर्स तक पहुंचने का प्रवेश द्वार भी है और इस वजह से यहां पर बड़ी संख्या में लोग आते जाते हैं और जन दबाव रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार चल रही निर्माण गतिविधियों और नदियों के कटाव ने हालात को और बदतर बना दिया है। चमोली जिला पड़ोसी मुल्क चीन की सीमा से भी लगता है। 

कई दिनों से स्थानीय लोगों की मांगों के बीच तीन दिन पहले ही चमोली प्रशासन ने एनटीपीसी के सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है।

चमोली डीएम ने आदेश जारी कर कहा है कि अगले आदेश तक बिजली परियोजना के लिए होने वाले सभी निर्माण कार्यों पर रोक रहेगी। डीएम की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मौजूदा समय में जोशीमठ नगर पालिका परिषद क्षेत्र में जमीन धंस रही है और इसी परिस्थिति में सुरक्षा को देखते हुए निर्माण कार्यों को तत्काल रोका जाना चाहिए।

राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि 600 घरों के अलावा किन और जगहों पर दरारें आ रही हैं। जोशीमठ में कुछ जगहों पर होटल अपने पास की इमारतों पर झुक गए हैं और घरों में आ रही दरारों से पानी निकल रहा है। जोशीमठ पहुंचे पर्यटकों के होटलों में रुकने पर रोक लगा दी गई है। प्रभावित परिवारों को जोशीमठ से बाहर निकालने के लिए राज्य सरकार ने अपने चॉपर को तैयार रखा है। प्रत्येक परिवार के लिए 4000 रुपए की सहायता राशि जारी कर दी गई है। यह राशि उन्हें अगले 6 महीने तक मिलती रहेगी। लोगों को यहां से निकालकर जोशीमठ से 30 किलोमीटर दूर पीपलकोटी या 90 किलोमीटर दूर गोचर इलाके में ले जाए जाने की तैयारी है। 



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