प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी को एक और नया तोहफा मिलने जा रहा है। 13 जनवरी को लोहड़ी के दिन या मकर संक्रांति के एक दिन पहले प्रधानमंत्री गंगा नदी में एक लक्ज़री क्रूज़ को हरी झंडी दिखाएंगे। कहा जा रहा है कि यह क्रूज़ जितनी लंबी यात्रा करेगा पूरी दुनिया में नदी में चलने वाला कोई भी क्रूज़ उतनी लंबी यात्रा नहीं करता।
यह 50 दिन में चार हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी करके असम पंहुचेगा। यात्रा गंगा से शुरू होगी और ब्रह्मपुत्र में खत्म। रास्ते में यात्रियों को ढेर सारे तीर्थों के दर्शन भी कराए जाएंगे।
यह क्रूज़ अपनी यात्रा का एक बड़ा हिस्सा गंगा के उस नदी मार्ग में तय करेगा जिसे नेशनल वाटरवे-1 कहा जाता है। इसकी योजना 2014 में भारी भरकम प्रचार से साथ बनी थी। इसे कुछ इस तरह पेश किया गया था कि जैसे सरकार एक अजूबी योजना लेकर आई है जिसके बारे में पहले की सरकारों ने सोचा भी नहीं था।
हालांकि इस रास्ते पर यात्री आवागमन की बात भी हुई थी लेकिन ज्यादा जोर माल के परिवहन पर था।
The world's longest river cruise will commence its journey in Jan next year. Ganga Vilas, will set sail from sacred Varanasi to Dibrugarh via Bangladesh covering 4,000 km on the two greatest rivers of India, Ganga & Brahmaputra. Watch 🎥 pic.twitter.com/1buzy8ISig
— Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal) November 12, 2022
तब कईं दावे भी किए गए थे। कहा गया था कि नदी में चलने वाले बड़े जहाजों के जरिये माल का जो लदान होगा वह काफी सस्ता पड़ेगा। साथ ही यह भी बताया गया था कि इससे प्रदूषण भी काफी कम होगा। दावा यह भी था कि सरकार काबर्न उत्सर्जन कम करने का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया गया अपना वादा इसी तरह के इनोवेशन से पूरा करेगी। इसी के साथ ऐसे ही 16 और नेशनल वाटरवेज़ बनाने की घोषणा भी की गई।
यह भी कहा गया कि इससे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 46,000 लोगों को प्रत्यक्ष और 84,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
दो साल बाद सरकार ने नेशनल वाटरवेज़ एक्ट भी बना दिया और इसके साथ ही देश भर में 111 नेशनल वाटरवेज़ बनाने का ऐलान भी हो गया। बताया गया कि अब देश की हर बड़ी नदी सिर्फ नदी नहीं होगी वाटरवेज भी बन जाएगी।
इस कानून में एक प्रावधान यह भी किया गया कि वाटरवेज़ बनाने के लिए पर्यावरण संबंधी किसी भी तरह की इजाजत लेने की कोई जरूरत नहीं होगी। जिस समय यह कानून पास हुआ कईं पर्यावरण विशेषज्ञ बड़ी मछलियों और खासकर गंगा की लुप्त हो रही डाल्फिन पर इसके खतरे को लेकर सवाल उठा रहे थे। मछुवारों के संगठन भी इसका विरोध कर रहे थे।
2018 में जब आम चुनाव कुछ ही महीने दूर था, कोलकाता से एक बड़ा जहाज 16 कंटेनर लाद कर वारणसी के लिए रवाना हुआ। इस जहाज पर पेप्सी कंपनी के स्नैक्स लादे गए थे। भारत में पेप्सी की स्नैक्स बनाने की सबसे बड़ी इकाई पश्चिम बंगाल में ही है। यह भी बताया गया कि वापसी में यह जहाज प्रयागराज के इफ्को कारखाने से उर्वरक लाद कर ले जाएगा। इसके साथ ही यह दावा भी किया गया कि वाराणसी अब जल्द ही उत्तर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक हब बन जाएगा।
यह बताया गया था कि अगले 14 महीनों के अंदर इस वाटरवेज़ पर 35 लाख टन माल की ढुलाई होगी। लेकिन बाद में जो आंकड़े मिले उससे पता चला कि सिर्फ 280 टन माल की ही ढुलाई हुई। इस दौरान कईं ऐसी घटनाएं भी हुईं जब नदी की गहराई कम होने की वजह से मालवाहक जहाज जगह-जगह फंस गए। जिसने यह संदेश भी दिया कि भारत में नदियों की जो हालत है उसमें वाटरवेज़ पर पूरी तरह से निर्भर नहीं रहा जा सकता।
और अब इन्हीं स्थितियों व रास्ते पर लक्ज़री क्रूज़ शुरू किया जा रहा है। जिन रास्तों पर मालवाहक जहाज फंसे हों क्या वहां मोटी रकम खर्च करके पर्यटन का आनंद लेने वाले जाना पसंद करेंगे पर एक बात तय है कि क्रूज़ पर चलने वाली यह तीर्थ यात्रा सफल हो या न हो लेकिन टेलीविजन और अखबारों में अच्छा कवरेज जरूर मिलेगा।
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