दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए शुक्रवार को मतदान होगा। इस चुनाव में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच जोरदार मुकाबला है। दोनों ही पार्टियों ने मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव जीतने के लिए सियासी किलेबंदी की है।
आम आदमी पार्टी ने मेयर के पद के लिए शैली ओबेरॉय और डिप्टी मेयर के पद पर आले मोहम्मद इकबाल को मैदान में उतारा है। जबकि बीजेपी ने मेयर के पद पर रेखा गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है और डिप्टी मेयर की सीट पर कमल बागड़ी को उतारा है।
आम आदमी पार्टी ने आशु ठाकुर को मेयर और जलज कुमार को डिप्टी मेयर के पद पर बैकअप कैंडिडेट के तौर पर चुनाव मैदान में उतारा है। मतदान शुरू होने से पहले सभी नवनिर्वाचित पार्षदों को शपथ दिलाई जाएगी।
बीजेपी ने इस चुनाव में यू-टर्न लिया था क्योंकि एमसीडी के नतीजों के बाद उसने कहा था कि चूंकि बहुमत आम आदमी पार्टी के पास है इसलिए मेयर भी आम आदमी पार्टी का बनेगा और बीजेपी विपक्ष की भूमिका में रहेगी।
लेकिन नामांकन के अंतिम दिन यानी 27 दिसंबर को उसने अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर लोगों को चौंका दिया था।
पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति पर विवाद
इस बीच, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के द्वारा बीजेपी की पार्षद सत्या शर्मा को एमसीडी के मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी बनाने पर विवाद खड़ा हो गया है। आम आदमी पार्टी ने कहा है कि यह परंपरा रही है कि सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर या पीठासीन अधिकारी चुना जाता है लेकिन बीजेपी सभी लोकतांत्रिक परंपराओं और संस्थानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है।
दिल्ली सरकार ने पीठासीन अधिकारी के लिए आम आदमी पार्टी के पार्षद मुकेश गोयल के नाम की सिफारिश की थी। अब आम आदमी पार्टी ने मुकेश गोयल को एमसीडी में पार्टी का नेता नियुक्त किया है। मुकेश गोयल आदर्श नगर वार्ड 15 से एमसीडी पार्षद का चुनाव जीते हैं और एमसीडी में सबसे वरिष्ठ पार्षद हैं।
एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 134, बीजेपी को 104 और कांग्रेस को 9 सीटों पर जीत मिली थी और 15 साल से एमसीडी की सत्ता में बैठी बीजेपी की विदाई हो गई थी।
क्रॉस वोटिंग का डर
एमसीडी में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव इसलिए रोमांचक है क्योंकि आम आदमी पार्टी के पास बहुमत के लिए जरूरी 126 पार्षदों से सिर्फ कुछ ही ज्यादा पार्षद हैं। ऐसे में अगर बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग हुई तो समीकरण बिगड़ भी सकते हैं।
मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में राजनीतिक दलों को सबसे बड़ा डर क्रॉस वोटिंग का होता है क्योंकि इसमें पार्षदों पर दलबदल कानून लागू नहीं होता और राजनीतिक दल अपने पार्षदों के लिए व्हिप भी जारी नहीं कर सकते। ऐसे में पार्षद क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं। एमसीडी चुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने एक-दूसरे पर उनके पार्षदों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था।
मतदान सीक्रेट बैलेट के जरिये कराया जाएगा। कोई भी पार्षद अपनी पसंद के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर सकता है। क्योंकि इस चुनाव में दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है इसलिए यह पता नहीं लगाया जा सकता कि किस पार्षद ने किसे वोट दिया है।
ये डालेंगे वोट
मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में एमसीडी के 250 पार्षदों के साथ ही दिल्ली विधानसभा के 14 विधायक और दिल्ली में लोकसभा और राज्यसभा के 10 सांसद भी वोट डालेंगे। जबकि एमसीडी में एलजी के द्वारा मनोनीत पार्षदों को चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं है।
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