पंजाब में आप सरकार को बजट सत्र बुलाने की अनुमति देने से राज्यपाल के इनकार पर भगवंत मान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के इनकार को चुनौती देने वाली पंजाब सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा। पंजाब सरकार ने सीजेआई की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई की मांग वाली याचिका का ज़िक्र किया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के सामने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब सरकार की ओर से सिंघवी ने कहा, 'यह कुछ बेतुका है। राज्यपाल के पास विधानसभा को नहीं बुलाने की कोई शक्ति नहीं है। बजट सत्र 3 मार्च को शुरू होना है। हमने राज्यपाल को विधानसभा बुलाने के लिए लिखा था। वह अनुच्छेद 174 और तीन संविधान के अनुसार सत्र बुलाने के लिए बाध्य हैं। विद्वान राज्यपाल ने बाद में लिखा कि मुख्यमंत्री ने कुछ कड़े बयान दिए। सीएम ने वापस लिखा कि आपको पंजाबी लोगों के हितों को ध्यान में रखना होगा।'
यह बताए जाने के बाद कि बजट सत्र 3 मार्च को निर्धारित है, सीजेआई संविधान पीठ की बैठक के बाद दोपहर 3.50 बजे ही मामले की सुनवाई करने के लिए तैयार हो गए।
बता दें कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने 3 मार्च से शुरू होने वाले बजट सत्र के लिए विधानसभा बुलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। पुरोहित ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा लिखे गए ट्वीट और पत्र पर कानूनी सलाह लेने तक सरकार को बजट सत्र बुलाने की अनुमति नहीं देने का फ़ैसला किया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका में पंजाब के राज्यपाल के प्रधान सचिव को पहला प्रतिवादी बनाया गया है। पंजाब सरकार ने तर्क दिया है कि संवैधानिक योजना के तहत राज्यपाल निर्वाचित सरकार द्वारा दी गई सहायता और सलाह के अनुसार विधानसभा को बुलाने के लिए बाध्य हैं।
आप सरकार ने गुरुवार को जब अपना पहला प्रगतिशील पंजाब इन्वेस्टर्स समिट आयोजित किया, तो राज्यपाल ने सीएम को एक पत्र भेजा, जिसमें कहा गया था कि कानूनी सलाह लेने के बाद ही वह यह तय करेंगे कि 3 मार्च को बजट सत्र की अनुमति दी जाए या नहीं।
उन्होंने यह क़ानूनी सलाह उस मामले में मांगी है जिसमें इस महीने की शुरुआत में भेजे गए एक पत्र के जवाब में सीएम मान ने कथित तौर पर 'अपमानजनक' ट्वीट किया था और पत्र लिखा था।
इस मामले में भगवंत मान ने शीर्ष अदालत जाने के फैसले की घोषणा करते हुए कहा था, 'दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की झलक... दिल्ली में बहुमत के बावजूद मेयर बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएँ... डिप्टी मेयर बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएँ... पंजाब विधान सभा को बजट सत्र कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है... लोकतंत्र की तलाश जारी है।'
गुजरात के भावनगर में एक समारोह में भी भगवंत मान ने रविवार को राज्यपाल के साथ गतिरोध के बारे में बात की थी और आरोप लगाया कि राजभवन भाजपा मुख्यालय में बदल रहे हैं और राज्यपालों ने भाजपा के स्टार प्रचारकों के रूप में काम किया।
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