![](https://satya-hindi.sgp1.cdn.digitaloceanspaces.com/app/uploads/29-05-22/6293129218217.jpg)
कर्नाटक में चुनाव नजदीक आता देख टीपू सुल्तान पर विवाद फिर से खड़ा किया जा रहा है, ताकि राज्य में हिन्दू-मुसलमान के नाम पर चुनाव कराया जा सका। कल बुधवार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील ने कहा था कि टीपू सुल्तान समर्थकों को जिन्दा नहीं रहना चाहिए। आज गुरुवार को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उसका जवाब दिया। ओवैसी ने कहा- बीजेपी वालों, मैं टीपू सुल्तान का नाम ले रहा हूं, बोलो मेरा क्या कर लोगे।
ओवैसी ने सवाल किया है कि कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष ने टीपू सुल्तान के बारे में जो कहा है, क्या उससे पीएम सहमत हैं यह हिंसा, हत्या और नरसंहार का खुला आह्वान है। क्या कर्नाटक में बीजेपी सरकार इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी यह नफरत है। ओवैसी ने कहा कि इतिहास में जो दर्ज है कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष उसे कैसे मिटा सकते हैं। टीपू सुल्तान की महान शख्सियत के आगे कर्नाटक बीजेपी के नेता बौने हैं। वे कहीं नहीं खड़े हो सकते। क्या वो बता सकते हैं कि टीपू सुल्तान जब अंग्रेजों से लड़ रहे थे उस समय उनके नेता या संगठन क्या कर रहे थे।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी अध्यक्ष कतील ने कहा, 'मैं यहां के लोगों से पूछता हूं कि क्या आप भगवान हनुमान या टीपू की पूजा करते हैं। फिर क्या आप उन लोगों को जंगल भेजेंगे जो टीपू के कट्टर अनुयायी हैं इस बारे में सोचें। क्या आपको लगता है कि इस राज्य को भगवान हनुमान भक्तों या टीपू के वंशजों की आवश्यकता है मैं एक चुनौती देता हूँ - जो लोग टीपू के कट्टर अनुयायी हैं, उन्हें इस उपजाऊ धरती पर जीवित नहीं रहना चाहिए।'
कतील टीपू सुल्तान को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में भी कतील ने यह दावा करके विवाद खड़ा कर दिया था कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव 'टीपू बनाम सावरकर' के बारे में है। उन्होंने कहा था, 'उन्होंने (कांग्रेस) टीपू जयंती मनाने की अनुमति दी, जिसकी आवश्यकता नहीं थी और सावरकर के बारे में अपमानजनक बात की।'
हाल ही में उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं को सलाह दी थी कि वो रोड, नाली के बजाय लव जिहाद पर फोकस करें। उसी का प्रचार करें, उसी पर बात करें। महत्वपूर्ण यह है कि ऐसे विवादास्पद बयानों के बावजूद बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने कतील के बेलगाम बयानों पर रोक नहीं लगाई। इसी से लगता है कि कर्नाटक चुनाव को लेकर बीजेपी के इरादे कुछ और हैं।
कौन था टीपू सुल्तान
टीपू सुल्तान अपने पिता हैदर अली के निधन के बाद 1782 में मैसूर रियासत के शासक बने। श्रीरंगपट्टनम उनकी राजधानी थी। उनके शासनकाल में मैसूर एक खुशहाल रियासत थी। अपने कार्यकाल में टीपू ने मैसूरियन रॉकेट का निर्माण कराया, जिसे दुनिया का पहला रॉकेट भी कहा जाता है। बहरहाल, भारत में अंग्रेज आ चुके थे। अंग्रेज धीरे-धीरे पूरे भारत पर कब्जा करते जा रहे थे लेकिन कर्नाटक में उन्हें मैसूर रियासत में टीपू सुल्तान से चुनौती मिली। टीपू सुल्तान ने अपने शासनकाल में अंग्रेजों से कई युद्ध लड़े। उन्होंने मैसूर से अंग्रेजों को खदेड़ दिया था। 4 मई 1799 में राजधानी श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए वो अंग्रेजों से युद्ध में शहीद हो गए। अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान के खिलाफ कई झूठी कहानियां फैलाईं। उस समय के अंग्रेज समर्थक लेखकों ने उसे लिखा। आज वही कहानियां कर्नाटक में टीपू की छवि खराब करने के लिए दोहराई जा रही हैं। लेकिन भारत सरकार ने टीपू सुल्तान पर डाक टिकट जारी किया। सरकारी कार्यक्रम आयोजित किए।
कई इतिहासकार टीपू को एक धर्मनिरपेक्ष और आधुनिक शासक के रूप में देखते हैं जिसने अंग्रेज़ों की ताक़त को चुनौती दी थी। टीपू एक राजा थे और किसी भी मध्ययुगीन राजा की तरह उन्होंने बग़ावत करने वाली प्रजा का मनोबल तोड़ने के लिये अत्याचार किया। मध्य युग के राजाओं का इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है।
इतिहास में ऐसे ढेरों उदाहरण हैं, जो ये साबित करते हैं कि टीपू सुल्तान ने हिंदुओं की मदद की। उनके मंदिरों का जीर्णोंद्धार करवाया। उसके दरबार में लगभग सारे उच्च अधिकारी हिंदू ब्राह्मण थे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है- श्रंगेरी के मठ का पुनर्निर्माण।
1790 के आसपास मराठा सेना ने इस मठ को तहस-नहस कर दिया था। मठ के स्वामी सच्चिदानंद भारती तृतीय ने तब मैसूर के राजा टीपू सुल्तान से मदद की गुहार लगायी थी। दोनों के बीच तक़रीबन तीस चिट्ठियों का आदान-प्रदान हुआ था। ये पत्र आज भी श्रंगेरी मठ के संग्रहालय में पड़े हैं। टीपू ने एक चिट्ठी में स्वामी को लिखा- “जिन लोगों ने इस पवित्र स्थान के साथ पाप किया है उन्हें जल्दी ही अपने कुकर्मों की सजा मिलेगी। गुरुओं के साथ विश्वासघात का नतीजा यह होगा कि उनका पूरा परिवार बर्बाद हो जायेगा।"
https://ift.tt/olzOtV9
Please don't enter any spam link in comment box ConversionConversion EmoticonEmoticon