कर्नाटक: पिछले चुनाव में किस पार्टी का कैसा रहा था प्रदर्शन

कर्नाटक उन कुछ राज्यों में से एक है जहाँ सरकार तो कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन की बनी थी, लेकिन बाद में बीजेपी ने अपनी सरकार बना ली। यानी कर्नाटक में जो विधानसभा चुनाव है उसमें बीजेपी को अपनी सत्ता बनाए रखने की चुनौती है। लेकिन क्या वह ऐसा कर पाएगी

इस बार भ्रष्टाचार, मुसलिम आरक्षण को ख़त्म करने जैसे मुद्दे तो हैं, इसके साथ ही कहा जा रहा है कि दो फैक्टर बीजेपी को प्रभावित करेंगे। एक तो एंटी इंकंबेंसी है, जिससे नुकसान होने की संभावना है और दूसरा प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा जिससे बीजेपी को फायदे की संभावना। यदि इन मुद्दों से इतर बात करें कि राज्य में किस पार्टी की कितनी पैठ है तो इसका अंदाज़ा पिछले चुनाव में प्रदर्शन से भी लगाया जा सकता है।

224 सीटों वाली विधानसभा के पिछले चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी उभरी थी और उसको 104 सीटें मिली थीं। हालाँकि वह बहुमत से 9 सीटें दूर रह गई थी। कांग्रेस 80 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी और जेडीएस 37 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर। अन्य के खाते में तीन सीटें गई थीं। 

तब बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन कर लिया था और दोनों दलों ने सरकार बना ली थी।

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वोट प्रतिशत के हिसाब से सबसे ज़्यादा 38.14 फ़ीसदी वोट कांग्रेस को और बीजेपी को 36.35 फ़ीसदी वोट मिले थे। जेडीएस को पिछले चुनाव में कुल मिलाकर 18.3 फ़ीसदी और अन्य को 7.21 फ़ीसदी वोट मिले थे। 

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हालाँकि, कुछ समय बाद ही कांग्रेस और जेडीएस के कई विधायकों ने पाला बदल लिया था और विधायक पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। तब बीजेपी पर तोड़फोड़ का आरोप लगा। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार गिर गई और बीजेपी ने सरकार बनाई। हालाँकि, बीजेपी की सरकार बनने के बाद भी इसने मुख्यमंत्री को बदल भी दिया। 

अब मई में कार्यकाल ख़त्म वाली इस विधानसभा के लिए चुनाव आयोग ने आज चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। राज्य में 10 मई को मतदान होगा। 13 मई को नतीजे आएंगे। यानी चुनाव एक चरण में पूरा हो जाएगा। राज्य में आदर्श आचार संहिता तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है। 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल 24 मई को समाप्त हो रहा है। चुनाव प्रक्रिया उससे पहले पूरी हो जाएगी। 

भाजपा ने विधानसभा की कुल 224 सीटों में से कम से कम 150 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इस बीच, कांग्रेस और जद (एस) ने क्रमशः 124 और 93 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची की घोषणा की है। राज्य में प्रमुख चुनावी मुद्दा क्या हो सकता है, इस पर राजनीतिक विश्लेषक एक मत नहीं है। हालांकि राज्य में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें बीजेपी शासित कर्नाटक सरकार कटघरे में खड़ी दिखाई दी। लेकिन पिछले हफ्ते बसवराज बोम्मई सरकार ने नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के लिए दो नई श्रेणियों की घोषणा की और मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है।



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