अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद विपक्ष अडानी समूह की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति की गठन की मांग कर करहा है। विपक्ष की इस मांग और सरकार के अड़ियल रवैये के कारण संसद का बजट सत्र बहुत कम कामकाज के बाद खत्म होने की कगार पर है। जेपीसी की मांग के अलावा सुप्रीम कोर्ट और सेबी जैसी संस्थाएं भी अडानी समूह की जांच कर रही हैं।
अडानी समूह के मसले पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी एक जांच समिति का गठन किया गया है। बुधवार को कांग्रेस की तरफ से जांच समिति पर सवाल उठाए गये। कांग्रेस के राज्यसभा सासंद जयराम रमेश ने बुधवार को आरोप लगाया कि अडाणी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई विशेषज्ञ समिति से नरेंद्र मोदी सरकार को 'क्लीन चिट' मिल जाएगी क्योंकि समिति का ध्यान 'अडाणी केंद्रित' होगा। अडानी समूह को घोटाले की सच्चाई केवल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच से ही सामने आ सकती है।
जयराम रमेश ने कहा कि अदालत द्वारा नियुक्त समिति सरकार से सवाल नहीं पूछे पाएगी, क्योंकि इसका ध्यान मुख्य रूप से अडानी समूह पर रहेगा। मीडिया से बात करते हुए जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की समिति अडानी केंद्रित है। हम (विपक्ष) जो सवाल उठाता है, वे पीएम मोदी और सरकार पर केंद्रित होते हैं। सुप्रीम कोर्ट की कमेटी इन सवालों को नहीं उठाएगी। इन सवालों पर केवल जेपीसी ही विचार-विमर्श कर सकती है।
जेपीसी में भाजपा के पास बहुमत होगा और समिति का अध्यक्ष भी बीजेपी का ही सांसद होंगा, लेकिन विपक्ष को महत्वपूर्ण सवालों को उठाने सरकार से जवाब मांगने का मौका मिलेगा, और यह सब कुछ रिकॉर्ड में जाएगा।
जयराम रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि 'अडाणी घोटाला' केवल शेयर बाजार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह 'प्रधानमंत्री की मंशा और नीतियों' के साथ भी करीब से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की समिति और जेपीसी की स्थिति में उसके बीच मूलभूत अंतर उन सवालों की प्रकृति में होगा जो उठाए जाते हैं और उनकी जांच की जाती है।
उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट पैनल सरकार से सवाल नहीं पूछेगा, बल्कि उसे क्लीन चिट देगा। यह समिति कुछ और नहीं बल्कि सरकार और पीएम पर लग रहे आरोंपो से ध्यान हटाने की कोशिश है। यह समिति सरकार को क्लीन चिट देने के लिए है।
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