इंदौर मंदिर हादसाः 'धार्मिक भावना' के नाम पर एक्शन न लेने का नतीजा

इंदौर के बेलेश्वर महादेव मंदिर में गुरुवार को हुआ हादसा टाला जा सकता था। इंदौर नगर निगम की लापरवाही इस मामले में सामने आई है। इस संबंध में एनडीटीवी ने तथ्यों की पड़ताल के बाद अपनी रिपोर्ट दी है। रामनवमी पर भीड़ के भारी दबाव के कारण बेलेश्वर महादेव मंदिर की बावड़ी की छत टूट गई। इसमें 36 लोगों की मौत हो गई। घटना के समय हवन किया जा रहा था। इस त्रासदी ने कई परिवारों को बुरी तरह प्रभावित किया, जिनमें से कुछ ने एक से अधिक सदस्यों को खो दिया।

एनडीटीवी ने दस्तावेज़ों के हवाले से बताया है कि मंदिर क्षेत्र एक अवैध ढांचा था और इंदौर नगर निगम ने पिछले साल इसे गिराने के लिए इसकी निशानदेही की थी। लेकिन मंदिर ट्रस्ट ने धार्मिक भावनाओं को आहत होने की चेतावनी दी। इसके बाद इंदौर नगर निगम को पीछे हटना पड़ा। 

1985 में तत्कालीन इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) के प्रमुख द्वारा जारी एक और पत्र एनडीटीवी को मिला है - क्षेत्र का प्रोजेक्ट मैप बता रहा है कि यहां कोई मंदिर नहीं था। नक्शा दिखाता है कि इस क्षेत्र को बच्चों के पार्क के रूप में विकसित किया जाना था। 1985 में उस जगह पर जहां मंदिर है, उस जगह को तत्कालीन मुख्य प्राधिकरण प्रमुख हर्ष मंदर ने बच्चों के लिए "स्नेह वाटिका" के रूप में विकसित करने का आदेश दिया था।

हालांकि बावड़ी 200 साल पुरानी है। यह चार लोहे के गर्डरों, कंक्रीट की एक पतली परत और टाइलों से ढकी हुई थी। रामनवमी पर पूजा करने के लिए भीड़ इसी पर जमा हुई जो इतना बोझ उठाने में असमर्थ थी। फर्श के चारों ओर दीवारें है। मंदिर की छत के रूप में एक टिन शेड बना हुआ है। हवन के लिए बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में एकत्रित हुए लोगों को यह नहीं पता था कि उनके पैरों के ठीक नीचे जंग लगी लोहे की ग्रिल के बीच एक गहरा कुआं छिपा हुआ है।

इंदौर नगर निगम ने मंदिर ट्रस्ट को दो बार - अप्रैल 2022 और जनवरी 2023 में नोटिस दिया गया था। मंदिर ट्रस्ट को दूसरे नोटिस में, नगर निगम ने कहा था कि उसका पिछला जवाब "नामंजूर" किया जाता है। आपको यह पत्र प्राप्त होने के सात दिनों के भीतर पूरा निर्माण हटाने का निर्देश दिया गया है, अन्यथा आईएमसी (इंदौर नगर निगम) नगर निगम अधिनियम 1956 की धारा 307 और धारा 7 (3) के तहत अतिक्रमण / अवैध निर्माण को हटा देगा। इसमें बावड़ी का कोई उल्लेख नहीं है। 

मंदिर ट्रस्ट ने फिर से किसी भी अवैध निर्माण से इनकार किया और आरोप लगाया कि अधिकारी धार्मिक भावनाओं को आहत करने की कोशिश कर रहे हैं।

एनडीटीवी को यहां रहने वाले किशोर कोडवानी ने बताया कि इस शेड को क्यों नहीं हटाया गया बुलडोजर का इस्तेमाल करना आसान होता... इस इलाके के ज्यादातर बावड़ियों को ढक दिया गया है। वास्तव में मंदिरों में से एक तो आईएमसी द्वारा ही बनाए गए एक सामुदायिक हॉल के अंदर है। इन सभी ढांचों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। कोई भी अधिकारी उनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं करेगा।

उन्होंने कहा कि सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार इंदौर में 1153 सामुदायिक उद्यान हैं, जिनमें से 875 उद्यानों का भौतिक सत्यापन किया गया और यह पाया गया कि उन पर 63 मंदिर और 113 ओवरहेड वाटर टैंक बनाए गए थे।

एनडीटीवी को मंत्री तुलसी सिलावत ने बताया कि उन्होंने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और नगर निगम के नोटिस को भी देख रहे हैं। मंत्री ने कहा, इससे दुखद कुछ नहीं हो सकता। अगर किसी ने बावड़ी का अतिक्रमण किया है, तो हम कार्रवाई करेंगे। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।

मंदिर ट्रस्ट के दो पदाधिकारियों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज किया गया है। अवैध निर्माण नहीं हटाने पर नगर निगम के दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं।



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