सचिन पायलट का जयपुर में अनशन शुरू, अब क्या करेगी कांग्रेस

कांग्रेस आलाकमान की चेतावनी को नजरन्दाज कर सचिन पायलट जयपुर में अनशन पर बैठ गए हैं। पार्टी के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सोमवार देर रात एक पत्र जारी कर सचिन के अनशन कार्यक्रम को पार्टी विरोधी गतिविधि करार दिया था। रंधावा ने फोन पर भी पायलट से बात की थी और अनशन नहीं करने को कहा था। लेकिन सचिन पायलट ने इसकी परवाह नहीं की। 

सचिन पायलट के आज के अनशन की खास बात यह है कि अभी तक कांग्रेस पार्टी का कोई विधायक उन्हें समर्थन देने नहीं पहुंचा है। जब 2020 में राजस्थान में कांग्रेस का संकट पैदा हुआ था तो सचिन के साथ कई विधायक भी थे। अनशन स्थल पर बड़ी तादाद में कई जिलों के गुर्जर नेता और पायलट समर्थक पहुंचे हुए हैं। भारी तादाद में महिलाएं भी जत्थों की शक्ल में अनशन स्थल पर पहुंच रही हैं। 

"शहीद स्मारक स्थल" पर जहां सचिन बैठे हैं, वहां गांधी की फोटो वाला विशाल बैनर है, जबकि नीचे भी दो छोटी फोटो है, जिनमें एक महात्मा गांधी और दूसरे में ज्योति बा फुले की फोटो है। लेकिन इन फोटो से अलग जो चीज है, वो है अशोक गहलोत सरकार पर निशाना। जिन पर उन्होंने भाजपा की वसुंधरा राजे के खिलाफ आरोपों पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। गहलोत सरकार ने सचिन पायलट के आरोपों का खंडन किया है। राज्य विधानसभा चुनाव नजदीक है, ऐसे में पायलट का यह अनशन बीजेपी की मदद करेगा।

अनशन की खास वजहः हालांकि पायलट भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में गहलोत सरकार के साथ ताजा टकराव को चुनावी साल में राजस्थान में पार्टी का प्रमुख चेहरा कौन होगा, इससे जोड़कर देखा जा रहा है। इस मुद्दे पर कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बनाने के उनके प्रयास के रूप में भी इसे देखा जा रहा है।

नजरें कांग्रेस आलाकमान पर

सचिन पायलट ने तो अपना दांव चल दिया है लेकिन अब बारी कांग्रेस आलाकमान की है कि उसका अगला कदम सचिन के खिलाफ क्या होता है। सचिन पायलट को कांग्रेस आला कमान ने उपवास से कुछ घंटे पहले, सोमवार रात को कड़ी चेतावनी दी थी और कहा कि उनकी ओर से इस तरह की कोई भी कार्रवाई पार्टी विरोधी गतिविधि होगी। पार्टी ने कहा कि सचिन पायलट का कल का उपवास पार्टी हितों के खिलाफ है और पार्टी विरोधी गतिविधि है। अगर उनकी अपनी सरकार से कोई समस्या है तो मीडिया और जनता के बजाय पार्टी मंचों पर चर्चा की जा सकती है। राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा - मैं पांच महीने से एआईसीसी का प्रभारी हूं और पायलट जी ने कभी मुझसे इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की। मैं उनके साथ संपर्क में हूं और मैं अभी भी शांति की अपील करता हूं क्योंकि वह कांग्रेस पार्टी के लिए एक बेशकीमती संपत्ति हैं। 

सचिन पायलट के मुद्दे को उनके समर्थक राहुल गांधी के अडानी मुद्दे से जोड़कर देख रहे हैं। पायलट के नजदीकी सूत्रों ने पीटीआई से कहा कि जब राहुल गांधी कथित भ्रष्टाचार के अडानी मुद्दे पर लड़ रहे थे, उसी तरह पायलट पिछली राजे सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए इस मुद्दे को उठा रहे हैं। पायलट "मौन व्रत" के दौरान सरकार के खिलाफ नहीं बोलेंगे। 

सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि पायलट और रंधावा दोनों ने फोन पर बात की लेकिन एआईसीसी के राज्य प्रभारी ने पूर्व उपमुख्यमंत्री से अनशन खत्म करने के लिए नहीं कहा। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई वसुंधरा राजे शासन के तहत भ्रष्टाचार के खिलाफ है और किसी और पर टारगेट नहीं है।

इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पायलट के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा नेता गजेंद्र सिंह शेखावत, जो वर्तमान में केंद्रीय कैबिनेट में जल संसाधन मंत्री हैं, के खिलाफ संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले की जांच चल रही है। शेखावत ने गहलोत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है। पवन खेड़ा की प्रतिक्रिया बता रही है कि सचिन पायलट के आरोप तो ठीक हैं लेकिन उन्होंने मुद्दा उठाने का समय गलत चुना है। 

केंद्र में संसदीय मामलों और संस्कृति के जूनियर मंत्री, भाजपा के अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार दो गुटों में बंटी हुई लगती है। उन्होंने कहा कि राज्य में कोई विकास नहीं है, शासन गायब है और लोग पीड़ित हैं। मेघवाल ने कहा, "मुझे विश्वास है कि आने वाले चुनावों में जनता उन्हें सबक सिखाएगी।"



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