2024 के आम चुनावों के लिए संयुक्त रणनीति पर चर्चा करने और निर्णय लेने के लिए विपक्षी दल 12 जून को पटना में बैठक करेंगे। सम्मेलन में समान विचारधारा वाले 18 से अधिक विपक्षी दल भाग लेंगे। विपक्ष ने अपनी एकजुटता का सफल प्रदर्शन आज रविवार को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करके कर दिया है। इससे पहले कल शनिवार को भी नीति आयोग की बैठक में विपक्ष शासित 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने दूरी बना ली थी। नीति आयोग की बैठक की अध्यक्षता पीएम मोदी की थी।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक विपक्षी दल के एक नेता ने कहा- "यह एक तैयारी बैठक है, विपक्षी दलों की मुख्य बैठक बाद में होगी।" बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तमाम दलों से बातचीत के बाद यह तारीख तय की है। नीतीश ने 2024 के आम चुनावों से पहले विपक्षी एकता के लिए वार्ताकार के रूप में कार्य करने की इच्छा जताई थी। पिछले हफ्ते दिल्ली में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से नीतीश ने मुलाकात भी की थी।
नीतीश कुमार सभी समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों को एक साथ लाने की योजना बना रहे हैं और अब तक ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को शामिल करने में सफल रहे हैं - जो कांग्रेस के बारे में आक्रामक रहे हैं।
हाल ही में ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद कहा था कि उन्हें कांग्रेस के होने पर कोई एतराज नहीं है। ज्यादातर विपक्षी दल इस बात पर सहमत हैं कि मजबूत क्षेत्रीय दल 2024 में अपने अपने इलाकों में भाजपा का मुकाबला करेंगे और बदले में, वे 200 से अधिक सीटों पर कांग्रेस को भाजपा से सीधे मुकाबले में उतरने देंगे।
विपक्षी एकता में सिर्फ नवीन पटनायक की बीजेडी और मायावती की बसपा ही दूर हैं। दोनों ने बहुत पहले ही कह दिया है कि वे विपक्षी एकता की किसी भी मुहिम में शामिल नहीं होंगे। बसपा प्रमुख मायावती की अपनी मजबूरियां हैं लेकिन बाकी विपक्ष नवीन पटनायक के रवैए पर हैरान है। नवीन पटनायक कल नीति आय़ोग की बैठक से दूर रहे लेकिन आज वो नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए।
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