नए संसद भवन के उद्घाटन पर जारी होगा 75 रुपये का एक खास सिक्का

नये संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर रविवार को एक ख़ास सिक्का जारी किया जाएगा। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि नए संसद भवन के उद्घाटन के उपलक्ष्य में 75 रुपये का एक विशेष सिक्का लॉन्च किया जाएगा। सिक्के के एक तरफ अशोक स्तंभ का लायन कैपिटल होगा, जिसके नीचे 'सत्यमेव जयते' लिखा होगा। बाईं ओर देवनागरी लिपि में 'भारत' और दाईं ओर अंग्रेजी में 'इंडिया' लिखा होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई यानी रविवार को नये संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। गृहमंत्री अमित शाह ने एक दिन पहले ही घोषणा की है कि 'सेंगोल' यानी राजदंड को नये संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। गृहमंत्री ने कहा कि यह राजदंड अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण को चिह्नित करने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था। 

बहरहाल, अब जो सिक्क जारी किया जाने वाला है उसमें रुपये का चिन्ह भी होगा और लायन कैपिटल के नीचे अंतरराष्ट्रीय अंकों में 75 लिखा होगा। सिक्के की दूसरी ओर संसद परिसर की तस्वीर होगी। ऊपरी परिधि पर 'संसद संकुल' शब्द देवनागरी लिपि में और निचली परिधि पर अंग्रेजी में 'पार्लियामेंट कॉम्प्लेक्स' लिखा होगा।

सिक्का 44 मिलीमीटर के व्यास के साथ आकार में गोलाकार होगा और इसके किनारों पर 200 सेरेशन होंगे। 35 ग्राम के सिक्के में 50% चांदी, 40% तांबा, 5% निकेल और 5% जस्ता शामिल है।

नये संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किए जाने और उनके द्वारा उद्घाटन नहीं कराए जाने का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। कम से कम 20 दलों ने इस कार्यक्रम का विरोध किया है।

दो दिन पहले 19 विपक्षी दलों ने साझा बयान जारी कर घोषणा की है कि वे रविवार के समारोह का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा नई संसद का उद्घाटन करने की योजना को 'लोकतंत्र पर सीधा हमला' बताया है। विपक्षी दलों ने बयान में कहा, 'यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है और संविधान की भावना का उल्लंघन करता है। यह समावेश की भावना को कमजोर करता है।' विरोध करने वाले दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, वामपंथी पार्टियाँ, तृणमूल और समाजवादी पार्टी आदि शामिल हैं।

हालाँकि, नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में 25 दलों के शामिल होने की उम्मीद है। विपक्ष पर तीखा जवाबी हमला करते हुए भाजपा ने उद्घाटन के बहिष्कार के फैसले को 'लोकतांत्रिक लोकाचार और महान राष्ट्र के संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान' करार दिया है।



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