पीएम मोदी लौटे, आते ही इशारों में विपक्ष पर हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वापस लौट आए हैं और आते ही उन्होंने इशारों में विपक्ष पर निशाना साधा। भारत के करीब 20 विपक्षी दल 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने जा रहे हैं। पीएम मोदी ही इसका उद्घाटन करने वाले हैं। जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की तीन देशों की यात्रा पूरी करने के बाद प्रधानमंत्री आज गुरुवार सुबह दिल्ली पहुंचे। हवाईअड्डे पर उनके स्वागत में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई नेता मौजूद थे।

एनडीटीवी के मुताबिक हाल ही में सिडनी में अपने सामुदायिक कार्यक्रम का जिक्र करते हुए, जिसमें 20,000 से अधिक लोगों की भीड़ उन्हें सुनने के लिए उमड़ी, पीएम मोदी ने कहा कि न सिर्फ ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री, एंथनी अल्बनीस, दर्शकों में थे, बल्कि वहां के पूर्व पीएम और पूरा विपक्ष जो अपने देश के लिए एक साथ था। 

पीएम ने कहा, "पूर्व प्रधानमंत्री भी उस समारोह में मौजूद थे। वहां विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसद थे। उन सभी ने सामुदायिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया।"

एनडीटीवी के मुताबिक महामारी के चरम के दौरान विदेशों को कोविड वैक्सीन निर्यात करने के लिए केंद्र पर सवाल उठाने के लिए भी पीएम ने विपक्ष की खिंचाई की। पीएम ने कहा- "संकट के समय, उन्होंने पूछा कि मोदी दुनिया को वैक्सीन क्यों दे रहे हैं। याद रखें, यह बुद्ध की भूमि है, यह गांधी की भूमि है! हम अपने दुश्मनों का भी ख्याल रखते हैं, हम करुणा से प्रेरित लोग हैं!"

नए संसद भवन का उद्घाटन रविवार को पीएम द्वारा किया जाएगा, हालांकि, इस आयोजन में विपक्ष का लगभग शून्य प्रतिनिधित्व होगा। लगभग 20 दलों ने घोषणा की है कि वे उद्घाटन का बहिष्कार करेंगे।

विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि "प्रधान मंत्री मोदी द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय, राष्ट्रपति मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करना, न केवल घोर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है ... यह अशोभनीय कार्य राष्ट्रपति के उच्च कार्यालय का अपमान करता है। संविधान की समावेश की भावना को कमजोर करता है। यह उस राष्ट्र का भी अपमान है जिसने अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बनाने का जश्न मनाया था।"

विपक्षी दलों ने कहा कि "प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है, जिन्होंने लगातार संसद को खोखला कर दिया है। संसद के विपक्षी सदस्यों को अयोग्य, निलंबित और मौन कर दिया गया है, जब उन्होंने भारत के लोगों के मुद्दों को उठाया था... जब लोकतंत्र की आत्मा को खत्म कर दिया गया है। तो ऐसे में हमें संसद की इस नई इमारत में कोई वैल्यू नजर नहीं आती।

विपक्ष पर तीखा जवाबी हमला करते हुए, भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने उद्घाटन के बहिष्कार के फैसले को "लोकतांत्रिक लोकाचार और हमारे महान राष्ट्र के संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान" करार दिया है।



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