नये संसद भवन के उद्घाटन के 19 विपक्षी दलों के बहिष्कार के बीच अमित शाह ने आज इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा है कि सरकार ने शनिवार को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया है और उन्हें अपने विवेक के अनुसार फैसले लेने की छूट है। इसके साथ ही गृहमंत्री ने घोषणा की कि 'सेंगोल' यानी राजदंड नामक एक प्राचीन अवशेष को नये संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने साफ़ किया कि उन्होंने ख़ासकर इसी की जानकारी देने के लिए प्रेस कॉन्फ़्रेंस की है।
गृहमंत्री ने कहा कि यह राजदंड अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण को चिह्नित करने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था। गृह मंत्री ने कहा कि इस राजदंड को 'सेंगोल' कहा जाता है जो तमिल शब्द 'सेम्माई' से आया है और जिसका अर्थ है 'नीति परायणता'। उन्होंने कहा कि यह सेंगोल पौराणिक चोल राजवंश से संबंधित है। शाह ने कहा कि सेंगोल स्वतंत्रता और निष्पक्ष शासन की भावना का प्रतीक है।
Briefing the press on a very important and historical event celebrating Azadi Ka Amrit Mahotsav. Watch Live! https://t.co/Xl0J8H9r5R
— Amit Shah (@AmitShah) May 24, 2023
अमित शाह ने कहा, 'पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 की रात लगभग 10:45 बजे तमिलनाडु से आए अधिनम के माध्यम से सेंगोल को स्वीकार किया; यह अंग्रेजों से हमारे देश के लोगों के लिए सत्ता के हस्तांतरण का संकेत था।' उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का मानना है कि राजदंड के लिए संसद से बेहतर कोई जगह नहीं है।
गृहमंत्री ने कहा कि संसद भवन नए भारत के निर्माण में हमारी सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का एक सुंदर प्रयास है। शाह ने कहा कि इमारत का निर्माण रिकॉर्ड समय में किया गया था। बीजेपी नेता आगे कहा कि पीएम मोदी उन सभी 60,000 श्रमिकों को सम्मानित करेंगे जो भवन के निर्माण में शामिल थे।
अमित शाह ने आगे वह घटनाक्रम बताया जिसमें सेंगोल को जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था। उन्होंने कहा कि 1947 में जब सत्ता भारतीयों के हाथ में सौंपने का समय आया तो ब्रिटिश भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने प्रधानमंत्री नेहरू से एक सवाल किया। ब्रिटिश से भारतीयों को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में क्या कुछ किया जाए। इस पर अपने लोगों से चर्चा के लिए पंडित नेहरू ने समय मांगा। शाह ने कहा, 'प्रधानमंत्री नेहरू ने सलाह के लिए देश के अंतिम गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी की ओर रुख किया। राजगोपालाचारी को आमतौर पर राजाजी के नाम से जाना जाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नेहरू को सत्ता में आने पर एक नए राजा को एक राजदंड सौंपने वाले महायाजक की तमिल परंपरा के बारे में बताया।'
अमित शाह के अनुसार, राजाजी ने कहा कि चोलों के शासनकाल के दौरान इस परंपरा का पालन किया गया था और सुझाव दिया कि यह ब्रिटिश राज से भारत की स्वतंत्रता को चिह्नित कर सकता है। इसके बाद राजाजी पर उस ऐतिहासिक क्षण के लिए उस राजदंड की व्यवस्था करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई।
अमित शाह कहते हैं कि सेंगोल का अर्थ बहुत गहरा है। उन्होंने कहा कि सेंगोल तमिल भाषा के शब्द सेम्माई से बना है, जिसका अर्थ 'नीति परायणता' है।
गृहमंत्री ने कहा कि सी राजगोपालाचारी यानी राजाजी ने मौजूदा तमिलनाडु में एक प्रमुख मठ, थिरुवदुथुराई अथीनम से संपर्क किया। मठ के तत्कालीन द्रष्टा ने जिम्मेदारी स्वीकारी। सेंगोल तत्कालीन मद्रास के एक जौहरी वुम्मीदी बंगारू चेट्टी द्वारा बनाया गया था। यह पांच फीट लंबा है और शीर्ष पर एक 'नंदी' है, जो न्याय का प्रतीक है। ख़बरों के मुताबिक, मठ के एक वरिष्ठ पुजारी ने पहले राजदंड माउंटबेटन को सौंपा। इसके बाद इसे गंगाजल के साथ छिड़का गया, एक जुलूस में प्रधानमंत्री नेहरू के पास ले जाया गया और उन्हें सौंप दिया गया।
गृहमंत्री ने कहा कि 'सेंगोल' के इतिहास और महत्व के बारे में बहुतों को जानकारी नहीं है। नई संसद में इसकी स्थापना हमारी सांस्कृतिक परंपराओं को हमारी आधुनिकता से जोड़ने का एक प्रयास है। शाह ने कहा कि नई संसद में सेनगोल लगाने की योजना भी प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता को दर्शाती है। सेंगोल अब इलाहाबाद के एक संग्रहालय में है जहां से अब इसे संसद में लाया जाएगा।
मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए अमित शाह ने जोर देकर कहा कि सेंगोल को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि प्रशासन कानून के शासन से चले और यह हमें हमेशा याद दिलाएगा।'
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