एससीओ- सभी तरह के आतंकवाद को रोकना ही होगा: एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को गोवा में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में पड़ोसी देश पाकिस्तान को संकेतों में साफ़ संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद सहित सभी तरह के आतंकवाद को रोका ही जाना चाहिए।

यह बताते हुए कि आतंकवाद का मुकाबला एससीओ के मूल उद्देश्यों में से एक है, जयशंकर ने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों को वित्त मुहैया कराने के चैनल को बिना किसी भेदभाव के रोका जाना चाहिए। जय शंकर ने कहा, 'जब दुनिया कोविड-19 महामारी और उसके परिणामों का सामना करने में लगी हुई थी, आतंकवाद का ख़तरा बेरोकटोक जारी था। हमारा पक्के तौर पर मानना है कि आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं हो सकता है और सीमा पार आतंकवाद सहित इसके सभी रूपों को रोका जाना चाहिए।'

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी शुक्रवार को बैठक के लिए पहुँचे, जहां उनका स्वागत विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया। जरदारी ने भी अपने भाषण में सदस्य देशों से 'आतंकवाद के खतरे' को सामूहिक रूप से मिटाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, 'राजनयिक लाभ के लिए आतंकवाद को हथियार बनाने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।'

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, 'जरदारी ने एससीओ सीएफएम में अपने बयान में 'अंतरराष्ट्रीय शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए बहुपक्षवाद के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को दोहराया'।

पिछले छह वर्षों में पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री की यह पहली भारत यात्रा है। पिछली ऐसी यात्रा दिसंबर 2016 में हुई थी, जब पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री सरताज अजीज ने हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमृतसर की यात्रा की थी। लेकिन उनकी तत्कालीन भारतीय समकक्ष सुषमा स्वराज अस्वस्थ थीं, इसलिए कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई थी। उनसे पहले 2014 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने भारत आए थे। इससे पहले विदेश मंत्री के स्तर पर पाकिस्तान का एक प्रतिनिधिमंडल 2011 में भारत आया था, उस समय पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी थीं।

भारतीय अधिकारियों ने संकेत दिया है कि जयशंकर और भुट्टो जरदारी के बीच द्विपक्षीय बैठक में दिलचस्पी नहीं है, क्योंकि पिछले सात सालों से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं।

बहरहाल, एससीओ बैठक में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, 'मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि एससीओ के सुधार और आधुनिकीकरण के मुद्दों पर चर्चा पहले ही शुरू हो चुकी है… मैं अंग्रेजी को एससीओ की तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में बनाने की भारत की लंबे समय से चली आ रही मांग के लिए सदस्य देशों का समर्थन भी चाहता हूं, ताकि अंग्रेजी बोलने वाले सदस्य राज्यों के गहरे जुड़ाव को सक्षम बनाया जा सके।' 

जयशंकर ने यह भी कहा कि एससीओ अध्यक्ष के रूप में भारत ने 14 से अधिक सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए आमंत्रित करके एससीओ पर्यवेक्षकों और भागीदारों के साथ एक अभूतपूर्व जुड़ाव शुरू किया है। उन्होंने कहा कि एससीओ की हमारी अध्यक्षता में हमने 100 से अधिक बैठकों और कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक पूरा किया और जिसमें 15 मंत्रिस्तरीय बैठकें शामिल हैं। एससीओ की अध्यक्षता में यह भारत का पहला कार्यकाल है।

जयशंकर ने कहा, 'भारत एससीओ में बहुमुखी सहयोग के विकास और शांति, स्थिरता को बढ़ावा देने को बहुत महत्व देता है।' जयशंकर ने अपने भाषण में अफगानिस्तान का भी जिक्र किया और कहा कि अफगानिस्तान में उभरती स्थिति हमारे ध्यान के केंद्र में है। 



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