राजस्थान के कोटा में खुदकुशी की अलग-अलग घटनाओं में दो किशोर लड़कों की मौत हो गई। पिछले दो महीनों में 9 छात्र इस शहर में जान दे चुके हैं। कुल 14 छात्र इस साल अभी तक जान गवां चुके हैं। इन घटनाओं से उन छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर फिर से ध्यान गया है जो इंजीनियरिंग और मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए एंट्रेंस की तैयारी करने हर साल कोटा में आते हैं।
जिन दो लड़कों ने अब जान दी है, उसमें एक उत्तर प्रदेश से था। दोनों दो महीने पहले कोटा आए थे और एमबीबीएस की अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा एनईईटी की तैयारी कर रहे थे।
दोनों लड़के विज्ञान नगर इलाके में अलग-अलग घरों में रहते थे। उनमें से एक सोमवार को मृत पाया गया, दूसरा मंगलवार को।
बिहार का रहने वाला एक और 17 वर्षीय लड़का उस समय बाल-बाल बच गया जब उसके माता-पिता सही समय पर पहुंच गए। वो किशोर भी खुदकुशी की योजना बना रहा था। उसके पैरंट्स उसे फौरन चाइल्ड केयर सेंटर पहुंचे और मनोवैज्ञानिक से उसकी बात कराई।
पुलिस के मुताबिक, लड़का करीब तीन महीने पहले इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा आया था और उसे घर की याद आ रही थी। रविवार को, उसने अपने माता-पिता को फोन पर बताया कि वह "एक जबरदस्त कदम" उठाने जा रहा है। चिंतित होकर, उसके पिता ने सरकार की परामर्श सेवा चाइल्डलाइन को फोन किया। मामले की जानकारी मिलने पर पुलिस तेजी से आगे बढ़ी और लड़के को रंगबाड़ी इलाके में तलाश लिया। लड़के को 20 मिनट के भीतर बचा लिया गया और अगले दिन कोटा पहुंचने पर उसके माता-पिता को सौंप दिया गया।
दक्षिणी राजस्थान का कोटा शहर प्रमुख कोचिंग केंद्रों के लिए प्रसिद्ध है जो छात्रों को शीर्ष संस्थानों में इंजीनियरिंग और मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के लिए तैयार करते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, यह शहर असफलता से तनाव और निराशा के कारण आत्महत्या करने वाले छात्रों के मामले में सुर्खियों में रहा है।
पिछले साल कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या के कम से कम 15 मामले दर्ज किये गये थे। इस वर्ष यह संख्या 14 तक पहुंच चुकी है।
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