पुरोला में मुस्लिम किरायेदारों को निकालने को कह रहे दक्षिणपंथी: रिपोर्ट

उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में सांप्रदायिक तनाव लगातार बढ़ते ही जा रहा है। पुरोला शहर में पहले जहाँ मुस्लिमों की दुकानों और ऐसे ही प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया था अब मुस्लिम किरायेदार निशाने पर आ गए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणपंथी समूहों के लोग हिंदू मकान मालिकों से मिल रहे हैं और उन्हें मुसलमानों की दुकानों के साथ ही घरों को खाली करने के लिए कह रहे हैं। शहर में यह सब कथित 'लव जिहाद' का मामला सामने आने के बाद हो रहा है। पहले ख़बर आई थी कि शहर में कुछ लोगों ने ऐसे पोस्टर चिपका दिए हैं जिसमें चेतावनी दी गई है कि मुस्लिम व्यापारी 15 जून तक दुकानें खाली कर दें।

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार पिछले महीने से 30 से अधिक दुकानें बंद हैं। हालाँकि पुलिस ने कुछ पोस्टरों को हटा दिया है, मुसलमानों ने कहा है कि उत्तरकाशी में उन्हें डराने की रणनीति में बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में मुस्लिम परिवारों के हवाले से कहा गया है कि यहाँ तक कि दशकों से बसे परिवारों को भी निशाना बनाया जा रहा है। इससे पहले 'बाहरी' को निशाना बनाया जा रहा था। 

दरअसल, 26 मई को उत्तरकाशी में उस समय तनाव बढ़ गया जब दो लोगों ने कथित तौर पर नाबालिग को अगवा करने का प्रयास किया। मीडिया रिपोर्टों में पुलिस के हवाले से कहा गया है कि अपहरण की कोशिश विफल होने के बाद आरोपी फरार हो गए थे और अगले दिन दोनों आरोपी- एक स्थानीय दुकानदार उबेद खान और एक मोटरसाइकिल मैकेनिक जितेंदर सैनी को कथित अपहरण के प्रयास के लिए 27 मई को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन इसके बाद भी यह मामला थमा नहीं।

एक मुस्लिम व्यक्ति ने टीओआई को बताया कि उनका परिवार 50 साल से किराए पर दुकान चला रहा है। उन्होंने कहा, 'पुरोला में हमारे परिवार की तीन पीढ़ियां हैं- उनमें से दो, जिनमें मैं भी शामिल हूं, यहां पैदा हुए थे। इतने सालों से यहां होने के कारण लोग हमें जानते हैं। हमारा कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और सौहार्दपूर्ण ढंग से रह रहे हैं। अब, मकान मालिक को दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा दुकान खाली करने के लिए कहा गया है।' वह कहते हैं कि 27 मई से दुकान बंद होने के कारण लगभग 1 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। 

मुस्लिम परिवार ने अंग्रेजी अख़बार से कहा, 'हमें अपने बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा का भी डर सता रहा है। ये हमारे घर और पीढ़ियों की आजीविका है। अगर हमें अपने शहर से बाहर जाने के लिए मजबूर किया जाता है, तो हमारे पास जाने के लिए और कहीं जगह नहीं है।'

रिपोर्ट के अनुसार कई वर्षों से एक दुकान चला रहे एक अन्य मुस्लिम व्यक्ति ने कहा, 'जो लोग हमें शहर छोड़ने की धमकी दे रहे हैं, उन्हें कम से कम हमें यह बताना चाहिए कि हमने इस सब के लिए क्या किया है...'। हालाँकि कुछ मकान मालिक दक्षिणपंथियों से नहीं डर रहे हैं। एक दक्षिणपंथी संगठन के कुछ लोगों से मिले धरम सिंह नेगी ने कहा, 'मुझे फर्क नहीं पड़ता। वे जो कर रहे हैं वह सही नहीं है। ये लोग अपने व्यवसायों और घरों के साथ यहां 40 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं। मैंने अपनी दुकान खाली कराने से इनकार कर दिया और उन्हें इसे गिरवाने की चुनौती दी।'

बता दें कि 29 मई को पुरोला में एक विरोध मार्च उस समय हिंसक हो गया था जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने मुसलमानों की दुकानों और प्रतिष्ठानों पर हमला कर दिया। मुसलमानों की कई दुकानें 29 मई से ही बंद हैं। यमुना घाटी हिंदू जागृति संगठन के बैनर तले शनिवार को भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया गया था। 

प्रदर्शनकारियों ने कस्बे में व्यवसाय करने के लिए बाहर से आने वाले लोगों का सत्यापन कराने की मांग को लेकर एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार उस ज्ञापन में कहा गया है कि शहर में व्यवसाय करने की आड़ में एक विशेष समुदाय के कुछ लोग अनैतिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है। 

कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि यह 'लव जिहाद' का मामला था। अब शहर में जो पोस्टर लगा है उसपर लिखा हुआ है, 'लव जिहादियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 15 जून, 2023 को होने वाली महापंचायत से पूर्व अपनी दुकान खाली कर दें। यदि तुम्हारे द्वारा ऐसा नहीं किया जाता, तो वक्त पर निर्भर करेगा।' पोस्टर में सबसे नीचे 'देवभूमि रक्षा अभियान' लिखा हुआ है। 



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