
महाराष्ट्र में मुसलमानों को शिक्षण संस्थाओं या नौकरियों में किसी भी तरह का आरक्षण नहीं मिलता है। लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे को नांदेड़ की अपनी रैली में कल शनिवार को उठाया था। उन्होंने मोदी की शैली में भीड़ से पूछा कि क्या मुसलमानों को आरक्षण दिया जाए। भीड़ ने जो ज्यादातर भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक थे, उन्होंने जवाब दिया-नहीं, नहीं। इसके बाद अमित शाह ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण संविधान के खिलाफ है। भाजपा का मानना है कि मुसलमानों के लिए आरक्षण "नहीं होना चाहिए।" महाराष्ट्र में बेमौसम आरक्षण के मुद्दे को आखिर उठाने की वजह क्या है। अमित शाह अभी से ही क्यों इसे मुद्दा बनाना चाहते हैं।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ या उसके आसपास हो सकते हैं। उससे पहले होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। शिवसेना को तोड़ने के बाद और उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने के बावजूद भाजपा कहीं न कहीं शिंदे की स्थिति को लेकर आश्वस्त नहीं हो पा रही है। यही वजह है कि भाजपा ने अपनी तौर पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। इस सिलसिले में शनिवार को नांदेड़ में हुई रैली में मुसलमानों से जुड़ा कोई भी विवादित मुद्दा उठना ही था। अमित शाह ने यह मुद्दा ऐसे समय में उठाया है, जब महाराष्ट्र के कोल्हापुर और अन्य स्थानों पर साम्प्रदायिक झड़प हुई हैं। डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का मुसलमानों को एकतरफा चेतावनी वाला बयान सामने आया है।
महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण की स्थिति
महाराष्ट्र में मुसलमानों को अभी किसी भी तरह का कोटा न तो शिक्षण संस्थाओं में और न ही नौकरियों में मिला हुआ है।2014 में तत्कालनी कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया था जिसके तहत उन्होंने मुस्लिम समुदाय को पांच प्रतिशत और मराठों को 16 प्रतिशत कोटा दिया था। लेकिन ये लागू नहीं हो पाया, क्योंकि तभी महाराष्ट्र में सरकार बदल गई। भाजपा-शिवसेना सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए तो कानून बनाया था, लेकिन मुस्लिम आरक्षण पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन महा विकास अघाड़ी सरकार सत्ता में आई, तो प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री नसीम खान ने मुसलमानों के लिए कोटा बहाल की मांग करते हुए सरकार से पत्र व्यवहार किया। उन्होंने पांच फीसदी कोटे को लागू करने की मांग की। लेकिन इस बीच उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई और अब एकनाथ शिंदे (शिवसेना गुट) और भाजपा की मिली जुली सरकार है। जिसमें पांच फीसदी मुस्लिम आरक्षण की बात दूर-दूर तक नहीं है। न शिंदे या किसी मंत्री ने इस संबंध में बयान दिया है।
लेकिन कांग्रेस ने पांच फीसदी आरक्षण के मुद्दे को जिन्दा रखा हुआ है। हाल ही में नसीम खान ने राज्य के राज्यपाल से इस मुद्दे को उठाया था। हाल ही में जमीयत-उलेमा-हिन्द के प्रोग्राम में भी चार बार के विधायक नसीम खान ने इस मुद्दे को छुआ था।
भाजपा चौकन्नी है। इसलिए उसने इस मुद्दे को उठाया है। हालांकि आम जनता को इस मुद्दे से बहुत लेना-देना नहीं है लेकिन भाजपा इसे मुद्दा बनाना चाहती है। हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले भी इस तरह का मुद्दा बनाने की कोशिश हुई थी। क्योंकि कर्नाटक में मुसलमानों को पांच फीसदी आरक्षण मिला हुआ था लेकिन चुनाव से ठीक पहले सरकार ने इस आरक्षण को रद्द कर दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और उसने सरकार की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए इस पर स्टे कर दिया। कर्नाटक में पूरे चुनाव के दौरान भाजपा और अमित शाह इसे मुद्दा बनाते रहे लेकिन जनता पर इसका कोई असर नहीं हुआ। कर्नाटक में भाजपा बुरी तरह हार गई।
और क्या कहा अमित शाह नेः नांदेड़ की रैली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में धर्म आधारित आरक्षण नहीं होना चाहिए। बीजेपी का मानना है कि मुस्लिम आरक्षण नहीं होना चाहिए क्योंकि यह संविधान के खिलाफ है। उद्धव ठाकरे को नांदेड़ के लोगों को बताना चाहिए कि मुसलमानों के लिए आरक्षण होना चाहिए या नहीं।"
केंद्रीय गृह मंत्री ने उद्धव ठाकरे पर 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस और एनसीपी के साथ तत्कालीन शिवसेना के गठबंधन के लिए भाजपा को धोखा देने का भी आरोप लगाया।
शिवसेना (अविभाजित) और भाजपा ने 2019 का विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री पद पर असहमति को लेकर शिवसेना गठबंधन से बाहर हो गई थी।
2019 के चुनाव को याद करते हुए अमित शाह ने कहा कि उन्होंने और देवेंद्र फडणवीस ने बातचीत के लिए उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। अमित शाह ने कहा, "उद्धव ठाकरे ने वादा किया था कि अगर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन जीतता है, तो देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।"
उन्होंने आरोप लगाया, जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई और एनडीए की जीत हुई तो उद्धव ठाकरे ने वादा तोड़ा और सत्ता के लिए कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन किया।
अमित शाह ने कहा कि भाजपा ने पिछले साल ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को नहीं गिराया, लेकिन वे शिव सैनिक थे जो उद्धव ठाकरे की नीतियों से थक चुके थे और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ जाने को तैयार नहीं थे।
कोल्हापुर का दंगा
महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर में हाल ही में सोशल मीडिया पर एक विवादास्पद पोस्ट को लेकर दो गुटों के बीच झड़प के बाद सांप्रदायिक तनाव फैल गया। कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने कस्बे में बंद का आह्वान किया था। इससे पहले कथित तौर पर मुगल बादशाह औरंगजेब का पोस्टर लहराने पर सारा विवाद शुरू हुआ था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा पर आरोप लगाया कि वो सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को "प्रोत्साहित" कर रही है।
इस घटना को लेकर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने जो बयान दिया, उससे सारी बात साफ हो जाती है। फडणवीस ने कहा - कोल्हापुर में उपद्रवियों की पहचान करने के लिए विस्तृत जांच की जाएगी। एक विशेष समुदाय के लोग औरंगजेब का महिमामंडन कर रहे हैं.. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में एक साथ औरंगजेब का महिमामंडन किया जा रहा है... यह अचानक नहीं हो सकता। यह महज एक संयोग नहीं है। फडणवीस के इस बयान के बाद 11 साल के नाबालिग को साम्प्रदायिक पोस्ट के लिए गिरफ्तार कर लिया गया। 26 लोग गिरफ्तार किए गए, जिनमें अधिकांश एक ही समुदाय से हैं। इस सिलसिले में दंगाइयों के जो वीडियो और फोटो सामने आए हैं उन पर पुलिस चुप है। दंगाइयों पर पुलिस ने कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की है।
शरद पवार का सीधा हमला
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कोल्हापुर दंगे को लेकर भाजपा पर सीधा हमला किया। पवार ने कहा- “अहमदनगर और कोल्हापुर में कुछ मोबाइल संदेशों को लेकर सांप्रदायिक झड़प की घटनाएं हुई हैं। ऐसे संदेशों को लेकर सड़कों पर उतरने का क्या मतलब है आज की सत्ताधारी पार्टी ऐसी बातों को बढ़ावा देती है। शासकों को शांति और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। लेकिन अगर शासक सड़क पर उतरना शुरू करते हैं और दो समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करते हैं, तो यह राज्य के लिए अच्छी बात नहीं है। यह अच्छा है कि घटनाएं राज्य के कुछ हिस्सों तक ही सीमित रहीं. लेकिन मैं कह रहा हूँ कि यह योजना बनाई जा रही है। मैंने टीवी पर देखा कि औरंगाबाद में किसी ने औरंगजेब की फोटो दिखाई, फिर पुणे में इस पर साम्प्रदायिक झड़प का क्या मतलब है यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है बल्कि इसके पीछे एक विचारधारा काम करती है। यह विचारधारा समाज के लिए अच्छी नहीं है।“
”
https://ift.tt/6JR2gQx
Please don't enter any spam link in comment box ConversionConversion EmoticonEmoticon