शिंदे का आलाकमान कौन, बीजेपी से मतभेद के बीच मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और भाजपा में मतभेद की खबरों के बावजूद मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की गई है। इस संबंध में आज सोमवार को एक तस्वीर सामने आई, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस बैठे हैं। लेकिन शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने इस पर चुटकी ली है। 

संजय राउत की शिंदे के आलाकमान के संबंध में की गई टिप्पणी महत्वपूर्ण है। क्योंकि शिंदे की पार्टी तो शिवसेना है, लेकिन महाराष्ट्र में चुनाव लड़ने से लेकर तमाम नीति बनाने के लिए शिंदे को बीजेपी आलाकमान का मुंह देखना पड़ता है। शिंदे खुद स्वतंत्र होकर कोई फैसला नहीं ले सकते।

शिवसेना-भाजपा संबंधजून 2022 में महाराष्ट्र में एमवीए यानी महाविकास अघाड़ी की सरकार ठीक ठाक चल रही थी। 21 जून को तत्कालीन उद्धव ठाकरे कैबिनेट के मंत्री एकनाथ शिंदे कुछ विधायकों के साथ एक फाइव स्टार होटल में गए और वहां जम गए। धीरे-धीरे शिवसेना के और विधायक भी इनके साथ आ गए। इसके बाद ये लोग असम चले गए। इस तरह कुछ दिनों बाद शिंदे ने शिवसेना के ढेरों विधायक तोड़े और इससे उद्धव ठाकरे की सरकार महाराष्ट्र में अल्पमत में आ गई और गिर गई।

इसके बाद घटनाक्रम तेजी से चला। भाजपा जो शिंदे की खुलकर मदद कर रही थी, उसने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। भाजपा आलाकमान के निर्देश पर शिंदे को सीएम और भाजपा से सीएम रहे देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद यह मामला चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की तीखी आलोचना की और उन्हें महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट को ठीक से डील न करने का जिम्मेदार ठहराया। शिंदे की सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर बच गई कि उद्धव ठाकरे ने सदन में बहुमत साबित करने की बजाय इस्तीफा दे दिया। बहरहाल, अभी यह पेंच फंसा है कि शिवसेना पर कब्जा किसका है, चुनाव आयोग कुछ साफ नहीं कर रहा है। पुरानी शिवसेना का चुनाव चिह्न शिंदे के पास है। उद्धव ने अब अपनी शिवसेना यूबीटी बना ली है। इसी तरह उद्धव का साथ छोड़ने वालों का भविष्य तय नहीं हो पाया है। क्योंकि सदन में स्पीकर अब शिंदे गुट का है। लेकिन स्पीकर को फैसला लेना ही पड़ेगा।

सरकार कौन चला रहा हैः कहने को एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के सीएम हैं और भाजपा के फडणवीस डिप्टी सीएम हैं लेकिन सरकार चलाने में भाजपा की ही मुख्य भूमिका है। हर फैसला भाजपा आलाकमान करता है। इस दौरान महाराष्ट्र से फॉक्सकॉन का एक बड़ा प्रोजेक्ट निकलकर गुजरात चला गया। शिंदे और फडणवीस हाथ मलते रह गए।

इधर कई दिनों से महाराष्ट्र सरकार में शिंदे और भाजपा के बीच तनातनी की खबरें आ रही थीं। हाल ही में शिंदे गुट के एक वरिष्ठ नेता गजानन कीर्तिकर ने भारतीय जनता पार्टी के व्यवहार पर खुले तौर पर नाराजगी व्यक्त की। उद्धव खेमे वाली शिवसेना के मुखपत्र सामना में कीर्तिकर के हवाले से कहा गया है, "भाजपा वाले हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते, हम उनके सौतेले हैं, ऐसा वे व्यवहार करते हैं।

इसके बाद खबरें आईं कि 26 विधायक शिंदे का साथ छोड़कर उद्धव से हाथ मिला सकते हैं। तमाम मीडिया रिपोर्टों में विधायकों के नाम गुप्त रखते हुए कहा गया कि हमने उद्धव ठाकरे इसलिए नहीं छोड़ा था कि शिंदे सरकार के सारे फैसले भाजपा आलाकमान करे।

किसका मुजरा

शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने सोमवार को कटाक्ष किया- पहले आलाकमान महाराष्ट्र में था लेकिन अब शिंदे का आलाकमान दिल्ली में है। वह बाला साहेब और शिवसेना की बात करते हैं लेकिन दिल्ली में 'मुजरा' करते हैं। असली शिवसेना कभी किसी के आगे नहीं झुकी। एक साल हो गया है लेकिन कैबिनेट विस्तार नहीं हुआ है, इससे पता चलता है कि यह सरकार जा रही है।

ट्वीट में दिखी शिंदे-भाजपा एकता

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को घोषणा की कि शिवसेना और भाजपा ने आगामी 2024 लोकसभा चुनाव, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव सहित सभी चुनाव संयुक्त रूप से लड़ने का फैसला किया है। नई दिल्ली में शिंदे, डिप्टी सीएम और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और गृह मंत्री अमित शाह के बीच एक बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया।

शिंदे ने एक ट्वीट में कहा, 'इस बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि शिवसेना और भाजपा राज्य में आगामी सभी चुनाव (लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकायों के चुनाव सहित) मिलकर लड़ेंगी।'

शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र के विकास के लिए शिवसेना-बीजेपी गठबंधन 'मजबूत' है. उन्होंने कहा, "भविष्य में हम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और बहुमत से जीतकर महाराष्ट्र को सभी क्षेत्रों में देश का नंबर एक राज्य बनाएंगे, विकास की दौड़ जारी रखेंगे।" 

शिंदे का दिल्ली दौरा राज्य में शिंदे-फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार के एक साल पूरा होने से पहले हो रहा है। अभी तक शिंदे कैबिनेट का विस्तार नहीं कर पाए हैं। तमाम विधायक चुनाव से पहले मंत्री पद की उम्मीद लगाए बैठे हैं।



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