यसस मसलम आधर क चनत कए बन मयवत न कह- बसप इसक खलफ नह

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करने के खिलाफ नहीं है। लेकिन जिस तरह इसे लागू करने की कोशिश की जा रही है, वो गलत है।

बसपा प्रमुख का यह बयान ऐसे समय आया है जब पार्टी यूपी के प्रमुख मुस्लिम नेताओं को अपनी पार्टी में लाने की कोशिश में जुटी हुई है। हालांकि यूपी के मुस्लिम पहले से ही मायावती के भाजपा प्रेम के कारण सजग हैं लेकिन यूसीसी पर मायावती का बयान बसपा से मुसलमानों की दूरी को बढ़ा सकता है। क्योंकि तमाम मुस्लिम संगठनों ने यूसीसी को नामंजूर कर दिया है। इसलिए मायावती का आज रविवार का बयान चाहे जितनी चाशनी लगाकर आया हो, उसका असर तो पड़ेगा।

बसपा से पहले आम आदमी पार्टी ने भी यूसीसी को सिद्धांत रूप में समर्थन देने की बात कही थी। भाजपा के बाद इस तरह देश की दो पार्टियां बसपा और आप ने यूसीसी का समर्थन कर दिया है। 

मायावती ने रविवार को कहा कि “समान नागरिक संहिता का उल्लेख संविधान में पहले से ही है। लेकिन संविधान इसे थोपने का समर्थन नहीं करता। भाजपा को यूसीसी से संबंधित सभी आयामों पर विचार करना चाहिए था।” 

मायावती ने कहा, "हमारी पार्टी (बसपा) यूसीसी के कार्यान्वयन के खिलाफ नहीं है, लेकिन जिस तरह से भाजपा देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की कोशिश कर रही है, हम उसका समर्थन नहीं करते हैं। इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना और जबरदस्ती यूसीसी को देश में लागू करना सही नहीं है।"

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि अगर हर मामले में सभी धर्मों के लोगों पर एक ही कानून लागू होता है, तो इससे देश मजबूत ही होगा। उनका बयान 3 जुलाई को समान नागरिक संहिता पर संसदीय स्थायी समिति की चर्चा से पहले आया है।

सरकार संसद के मॉनसून सत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने पर विधेयक पेश कर सकती है। विधेयक को संसदीय स्थायी समिति को भेजा जा सकता है जो समान नागरिक संहिता पर विभिन्न हितधारकों के विचार सुनेगी।

मंगलवार को, पीएम मोदी भोपाल में एक कार्यक्रम में सभी समुदायों के लोगों के लिए समान कानूनों की जोरदार वकालत की और दावा किया कि संवेदनशील मुद्दे पर मुसलमानों को उकसाया जा रहा है। यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यूसीसी की वकालत की है, लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वाले इसका विरोध कर रहे हैं। पीएम मोदी ने यह कहते हुए पूछा कि देश में दो प्रणालियां कैसे हो सकती हैं। बहरहाल, पीएम मोदी ने एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह बयान दिया था।



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