‘समुद्री किसानों’ से झूठ बोला राहुल गाँधी ने, सिर्फ 15 दिनों में गायब कर दिया पूरा मंत्रालय – लोकसभा में सबूत मौजूद

समुद्री किसान राहुल गाँधी

--- ‘समुद्री किसानों’ से झूठ बोला राहुल गाँधी ने, सिर्फ 15 दिनों में गायब कर दिया पूरा मंत्रालय – लोकसभा में सबूत मौजूद लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---

लोकसभा सांसद राहुल गाँधी कॉन्ग्रेस के नेता हैं। कल (17 फरवरी 2021) उन्होंने पुडुचेरी में ‘समुद्री किसानों’ के लिए दिल खोल कर रख दिया। ‘समुद्री किसानों’ के लिए केंद्र में मोदी सरकार के यहाँ मंत्रालय नहीं होने पर उन्होंने अपनी तकलीफ भी बताई।

अब चलते हैं 2 फरवरी को। इसी साल के 2 फरवरी को – सिर्फ 15 दिन पहले। लोकसभा में एक ‘घटना’ घटती है। राहुल गाँधी एक सवाल पूछते हैं। देश की चिंता में डूबे ये कॉन्ग्रेसी नेता विदेश दौरों से फुरसत निकाल लोकसभा में सवाल पूछते हैं – तो यह घटना ही है।

घटना से आगे बढ़ते हुए सवाल पर नजर डालिए।

लोकसभा में राहुल गाँधी द्वारा पूछा गया सवाल

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री से यह सवाल पूछा गया था। जैसे हर सांसद को जवाब मिलता है, राहुल गाँधी को भी जवाब दिया गया। जवाब प्रताप चंद्र सांरगी ने दिया। प्रताप चंद्र सांरगी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं। लेकिन राहुल गाँधी भूल गए। शायद इसलिए क्योंकि सारंगी किसी ‘परिवार’ से नहीं आते, शायद इसलिए क्योंकि वो मंत्री के जैसे दिखते नहीं!

जवाब सिर्फ राहुल गाँधी ही दे पाएँगे। या प्रियंका गाँधी वाड्रा? प्रियंका वो हैं, जो लोगों के नाम भूल जाती हैं। स्मृति ईरानी तक के लिए उन्होंने कहा था – कौन? राहुल गाँधी में भूलने की बीमारी प्रियंका वाड्रा से ही लगी होगी, इसकी संभावना अधिक है।

अब पुनः लौटते हैं 17 फरवरी 2021 में। राहुल गाँधी की पुडुचेरी घटना पर। ऑपइंडिया ने रिपोर्ट की। सिंपल रिपोर्ट। लेकिन राहुल गाँधी के झूठ पर शक था। इसलिए प्रश्नवाचक चिन्ह के साथ शीर्षक दिया गया – “मछुआरों को मूर्ख समझते हैं राहुल गाँधी? मंत्रालय के नाम पर पुडुचेरी में क्यों बोला झूठ… जबकि मौजूद है मत्स्य विभाग”

जनता का प्रतिनिधि जनता से ही झूठ बोले, वो भी गाँधी परिवार का युवराज… मन यह मान नहीं रहा था। लेकिन समीर नाम के एक लड़के ने मन को झकझोर दिया। सबूत ले आया। सबूत कि राहुल गाँधी शर्तिया तौर पर झूठ बोल रहे थे। समीर के ट्वीट के बाद ट्विटर पर राहुल गाँधी का झूठ सार्वजनिक हो गया, फैल गया – मतलब वायरल हो गया।

जनता के सामने जाकर झूठ बोलने की सजा क्या है? कानून में कोई धारा है या नहीं? इस विषय पर जनता के प्रतिनिधि ही लोकसभा-राज्यसभा में वाद-विवाद करें। या सुप्रीम कोर्ट में कोई याचिका दायर हो और वकीलों के बीच बहस हो। लेकिन तय यह है कि झूठ बोलने की सजा जनता देती है, नाम भूलने की सजा जनता देती है – अमेठी हार के बाद प्रियंका गाँधी अपने भाई को यह बता सकती हैं कि वायनाड सदा के लिए नहीं रहने वाला!



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