गुजरात नगर निगम के चुनाव के लिए मतों की ग़िनती जारी है। चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुक़ाबला है जबकि आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम ने भी इस बार ताल ठोकी है। पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव की तरह क्या किसान आंदोलन का गुजरात में भी असर होगा, इस पर सभी की नज़रें टिकी हैं।
राज्य के छह नगर निगमों के लिए 21 फ़रवरी को मतदान हुआ था और इसमें 46.08 फ़ीसदी मतदान हुआ था। इनमें अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, जामनगर और भावनगर नगर निगम शामिल हैं।
बीजेपी इन सभी नगर निगमों में सत्ता में है। 28 फरवरी को 81 नगर पालिका परिषदों, 31 जिला पंचायतों और 231 तालुका पंचायतों में चुनाव होने हैं। चुनाव प्रचार के दौरान कांंग्रेस के डेट डेस्टिनेशन विद कैफे, किटी पार्टी हॉल को घोषणापत्र में जगह दिए जाने की काफी चर्चा हुई थी।
पंजाब में जीती कांग्रेस
कांग्रेस ने पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था जबकि शिरोमणि अकाली दल को करारा झटका लगा। पंजाब में अकाली दल की बैशाखी के सहारे राजनीति करने वाली बीजेपी भी पूरी तरह साफ हो गई है। पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी अपनी ही उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी।
कांग्रेस ने पंजाब के 8 में से 7 नगर निगमों में जीत दर्ज की है। इनमें मोगा, अबोहर, बठिंडा, कपूरथला, होशियारपुर, पठानकोट और बटाला शामिल हैं जबकि मोहाली में कांग्रेस को जीत मिली है।
पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों से पता चलता है कि कांग्रेस विरोधी दलों पर बहुत भारी पड़ी है और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उसने सियासी बढ़त हासिल कर ली है।
हरियाणा में हारी थी बीजेपी
दिसंबर, 2020 में हरियाणा में हुए तीन नगर निगमों के चुनाव में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को सिर्फ़ एक निगम में जीत मिली थी। उससे पहले बरोदा सीट पर हुए उपचुनाव में भी इस गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था। माना गया था कि खट्टर सरकार को किसानों की नाराज़गी का खामियाजा उठाना पड़ा है।
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