दिल्ली दंगों को एक साल का वक़्त पूरा हो रहा है। ऐसे मौक़े पर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने विवादित बयान दिया है। बीते साल फ़रवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर और जाफ़राबाद समेत कुछ और इलाक़ों में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।
सोमवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में मिश्रा ने कहा, “पिछले साल 23 फ़रवरी को जो किया, ज़रूरत पड़ी तो दुबारा करूंगा।”
दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार का स्वाद चख चुके मिश्रा ने आगे कहा कि उन्हें अपने किए का कोई पछतावा नहीं है लेकिन पछतावा इस बात का है कि आईबी अफ़सर अंकित शर्मा और कांस्टेबल रतन लाल को नहीं बचा पाए।
कपिल मिश्रा पर आरोप है कि पिछले साल दिए गए उनके एक भाषण के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़के थे। कपिल मिश्रा ने जाफ़राबाद मेट्रो स्टेशन के नज़दीक मौजपुर में भाषण देते हुए कहा था, “हमारी तरफ से एक भी पत्थर नहीं चला है, डीसीसी साहब हमारे सामने खड़े हैं। ट्रंप के जाने तक हम शांत हैं लेकिन उसके बाद हम आपकी (पुलिस) भी नहीं सुनेंगे। ट्रंप के जाने तक आप जाफ़राबाद और चांदबाग रोड खाली खाली करा दीजिए वरना हमें रोड पर आना पड़ेगा।” उस दौरान इस इलाक़े में मुसलिम समुदाय के लोग नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में धरना दे रहे थे।
इस कार्यक्रम में “दिल्ली दंगा: द अनटोल्ड स्टोरी” नाम की किताब को लिखने वाले लोग भी मौजूद थे। किताब की सह लेखिका सुप्रीम कोर्ट की वकील मोनिका अरोड़ा, मिरांडा हाउस की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर सोनाली चिटालकर व अन्य हैं। कपिल मिश्रा को इस किताब पर चर्चा के लिए बुलाया गया था।
मिश्रा ने कहा, “हमने दंगों में पीड़ित हिंदुओं की अपने स्तर पर मदद की और तब हमसे सवाल पूछा जा रहा है कि हमने दूसरे समुदाय की मदद क्यों नहीं की। मैं कहता हूं कि वक्फ़ बोर्ड, पूरी दिल्ली सरकार, मीडिया, एनजीओ सब उनके साथ खड़े हैं।”
दिल्ली पुलिस पर उठे थे सवाल
दिल्ली दंगों की जांच को लेकर पूर्व आईपीएस अफ़सर जूलियो रिबेरो ने दिल्ली पुलिस पर कई सवाल खड़े किए थे। रिबेरो ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव को ख़त लिखकर कहा था कि उन्होंने ‘बीजेपी के तीन बड़े नेताओं को लाइसेंस’ दिए जाने की बात का जवाब नहीं दिया है। रिबेरो ने पूछा था कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा से दिल्ली दंगों को लेकर पूछताछ क्यों नहीं की जा रही है।
मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे रिबेरो ने श्रीवास्तव को ख़त लिखकर कहा था कि दिल्ली पुलिस उन लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रही है जो शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे जबकि हिंसा से पहले सांप्रदायिक और उकसाने वाला भाषण देने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। उन्होंने लिखा था कि 'सच्चे देशभक्तों' को आपराधिक मामलों में घसीटा जा रहा है।
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