--- ’50 करोड़ भारतीय मर जाए’ – यह दुआ करने वाले मौलाना को कॉन्ग्रेस-लेफ्ट गठबंधन में 30 सीटें, फिर भी दरार! लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले वामदलों, कॉन्ग्रेस और इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के बीच हुए गठबंधन में दरार दिख रही है। रविवार (फरवरी 28, 2021) को फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना अब्बास सिद्दीकी ने जहाँ राज्य भर के वामपंथी उम्मीदवारों को तो अपना समर्थन दे दिया, लेकिन कॉन्ग्रेस पार्टी के लिए ऐसा नहीं किया। कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में गठबंधन की पहली रैली आयोजित हुई।
रैली में सिद्दीकी ने कहा कि वो चुनावी राजनीति में भागीदारी चाहते हैं, वो लेफ्ट को धन्यवाद करना चाहते हैं क्योंकि उसने अपनी सीटों का ‘बलिदान’ कर के उन्हें 30 सीटें दी हैं। उनके इस बयान को कॉन्ग्रेस पर दबाव की राजनीति के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि सोमवार से इन दलों के बीच सीट शेयरिंग पर बैठक होनी है। सिद्दीकी ने कहा कि मोदी और ‘दीदी’ दोस्त हैं, जो लड़ाई का सिर्फ दिखावा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ये दोनों ही पार्टियाँ (भाजपा और TMC) मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए धर्म का इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर खंडित जनादेश मिलता है तो TMC भाजपा के साथ मिल कर सरकार बनाने में पीछे नहीं हटेगी।
प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने अपनी पार्टी के गठबंधन को इंद्रधनुषी करार दिया। उन्होंने कहा कि इस रैली के बाद वो सोच में पड़ जाएँगे, जो इस लड़ाई को केवल मोदी बनाम ममता देख रहे थे।
उधर राजद नेता तेजस्वी यादव भी कोलकाता पहुँच गए हैं और उनकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ गठबंधन को लेकर बात होनी है। अभी तक तेजस्वी का वामदलों के साथ गठबंधन था।
इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के साथ गठबंधन करने वाले कॉन्ग्रेस व वामदलों के नेता घबराए भी हुए हैं कि इससे बाकी धर्मों के लोगों के बीच कहीं नकारात्मक संदेश न चला जाए। दक्षिण बंगाल में मुस्लिमों वोटरों के बीच TMC का बोलबाला है, जिसे तोड़ने के लिए लेफ्ट-कॉन्ग्रेस ने ISF का सहारा लिया है।
Maulana Abbas Siddqui who said 50 Crore Hindus should die with Corona is new alliance partner of Congress in Bengal. Congress showing his Anti Hindu Face once again pic.twitter.com/xEaBBnLOiS
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) February 28, 2021
वामदलों ने पश्चिम बंगाल में भाषाई और मजहबी ध्रुवीकरण को इस इस बार चुनाव में अपना सहारा बनाया है। साथ ही ‘किसान आंदोलन’ का फायदा उठाने की कोशिश भी हो रही है।
मौलाना अब्बास सिद्दीकी ने कहा है कि उनके अनुयायी पिछली बातों को भूल कर लेफ्ट उम्मीदवारों का समर्थन करें। वहीं कॉन्ग्रेस के बारे में उन्होंने कहा कि अगर कोई दोस्त बनना चाहता है तो उसका स्वागत है। उन्होंने ममता बनर्जी पर महिलाओं के अधिकार छीनने के भी आरोप लगाए।
The Brigade rally jointly held by the CPI-M-led Left front, #Congress & the Pirzada Abbas Siddiqui-led Indian Secular Front (#ISF) was organised to display the strength of a political alternative to the people in #WestBengal ahead of the high-octane Assembly elections. pic.twitter.com/zWBI6nQ9M0
— IANS Tweets (@ians_india) February 28, 2021
सबसे बड़ी बात तो ये है कि गठबंधन में शामिल ये तीनों ही दल आपस में अब तक दुश्मन ही रहे हैं। सीताराम येचुरी ने भी मंच से तृणमूल की सरकार को रंगदार और केंद्र सरकार को सांप्रदायिक बताया।
लेफ्ट पार्टियाँ यह थाह लगाने में लगी हुई हैं कि मौलाना अब्बास सिद्दीकी के जुड़ने से बांग्लादेश सीमा और शरणार्थियों वाले इलाकों में उन्हें फायदा हो रहा है या नहीं, क्योंकि इन इलाकों में अब तक ममता की तुष्टिकरण वाली राजनीति चल रही थी।
मौलाना अब्बास दिद्दीकी को उनके विवादित बयानों के कारण जाना जाता है। हाल ही में AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी भी हुगली जिले के फुरफुरा शरीफ पहुँचे थे और वहाँ सिद्दीकी के साथ राज्य के राजनीतिक परिदृश्य और आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि हमारी पार्टी उन फैसलों के साथ खड़ी होगी, जो अब्बास सिद्दीकी द्वारा उठाए जाएँगे। लेकिन सिद्दीकी अब लेफ्ट के साथ हैं।
मौलाना ने पिछले साल अपने बयान में कहा था कि अल्लाह हमारे भारतवर्ष में एक ऐसा भयानक वायरस दे कि भारत में दस-बीस या पचास करोड़ लोग मर जाएँ। वहाँ मौजूद भीड़ ने मौलवी की कही बात पर खूब शोर के साथ अपनी सहमती दर्ज कराई थी। उसने ये भी दावा किया था कि हम मुस्लिम बंगाल में बहुसंख्यक हैं क्योंकि आदिवासी, मथुआ और दलित हिन्दू नहीं हैं। उसने खुद को ओवैसी का फैन भी बताया था।
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