बंगाल: कांग्रेस-लेफ़्ट ने दिखाया दम, कोलकाता रैली में जुटाई भीड़

मेनस्ट्रीम मीडिया में पश्चिम बंगाल के चुनाव को बीजेपी बनाम टीएमसी दिखाए जाने के बीच कांग्रेस और वाम दलों (लेफ़्ट) ने रविवार को कोलकाता में रैली कर अपने सियासी वजूद का अहसास कराया। इस रैली में अच्छी-खासी भीड़ जुटी और यह संदेश गया कि बंगाल में लड़ाई केवल बीजेपी और टीएमसी के बीच ही नहीं है बल्कि यह गठबंधन भी मजबूती से चुनाव लड़ेगा। रैली में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ़) के कार्यकर्ताओं की भी मौजूदगी रही। 

यह रैली कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में हुई। सीपीएम के नेताओं ने रैली में टीएमसी और बीजेपी को सांप्रदायिक बताया और कहा कि राज्य में तीसरे विकल्प की ज़रूरत है। 

प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनका यह गठबंधन बंगाल चुनाव को दो ध्रुवीय नहीं रहने देगा और चुनाव में बीजेपी और टीएमसी को शिकस्त मिलेगी। 

कांग्रेस से नाख़ुश अब्बास सिद्दीक़ी 

रैली में आईएसएफ़ की मौजूदगी के बाद भी यह साफ नहीं हुआ है कि पीरजादा अब्बास सिद्दीक़ी के नेतृत्व वाला यह दल कांग्रेस-लेफ़्ट के साथ मिलकर मैदान में उतरेगा। क्योंकि अब्बास सिद्दीक़ी सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस से नाख़ुश हैं और उन्होंने उसे अप्रत्यक्ष रूप से चेताया है। उन्होंने कहा है कि आईएसएफ़ को उसका पूरा हक़ मिलना चाहिए। 

बंगाल चुनाव पर देखिए चर्चा- 

अब्बास सिद्दीक़ी ने टीएमसी और बीजेपी को हराने का दम भरा और कहा कि यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि टीएमसी चुनाव के बाद शून्य हो जाए। दूसरी ओर, टीएमसी और बीजेपी ने कांग्रेस और लेफ़्ट पर आरोप लगाया है कि उसने सांप्रदायिक दल आईएसएफ़ के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। 

‘बीजेपी से हाथ मिला लेंगी ममता’

रैली में सीपीएम के सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने बीजेपी पर लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का आरोप लगाया और कहा कि टीएमसी के नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि टीएमसी पहले भी एनडीए का हिस्सा रही है और आने वाले वक़्त में वह सरकार बनाने के लिए एक बार फिर बीजेपी से हाथ मिला लेगी। 

 - Satya Hindi

कांग्रेस-लेफ़्ट के सामने चुनौती

2016 के विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो तब कांग्रेस को 44, लेफ़्ट को 32, बीजेपी को 3 और टीएमसी को 211 सीट मिली थीं। यानी पिछली बार कांग्रेस और लेफ़्ट का गठबंधन मिलकर भी टीएमसी को सत्ता में आने से नहीं रोक पाया था। 

ऐसे में कांग्रेस और लेफ़्ट के सामने अपने पिछले प्रदर्शन को सिर्फ़ बरकरार रखने की नहीं बल्कि उससे कहीं बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है। क्योंकि 294 सीटों वाली बंगाल विधानसभा में बहुमत के लिए 148 सीटों की ज़रूरत है, जिसके लिए दोनों को एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा। 

कांग्रेस और लेफ़्ट इस बात को जानते हैं कि अगर टीएमसी या बीजेपी में से कोई भी सत्ता में आया तो बंगाल पर उनकी पकड़ कमजोर हो जाएगी और सत्ता में वापसी का ख़्वाब सिर्फ़ ख़्वाब ही बनकर रह जाएगा। इसलिए दोनों के सामने मुश्किल सियासी हालात हैं। 



https://ift.tt/2NGdMLj
Previous
Next Post »

Please don't enter any spam link in comment box ConversionConversion EmoticonEmoticon