26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा और लाल क़िले पर निशान साहिब फहराने के मामले के मुख्य अभियुक्त दीप सिद्धू को लेकर दिए गए एक बयान के कारण शिरोमणि अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा घिर गए हैं। सिरसा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष होने के साथ-साथ अकाली दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। सिरसा इन दिनों किसान आंदोलन में खासे सक्रिय हैं।
सिरसा ने ट्वीट कर कहा, “जिस दिन दीप सिद्धू को रिमांड पर लिया गया था, मेरी उससे बात हुई, वह ठीक और सेहतमंद है। मैंने दीप को भरोसा दिलाया है कि डीएसजीएमसी उसे हरसंभव क़ानूनी सहायता देगी और वह जल्द से जल्द जेल से बाहर आ सके, इसमें पूरी मदद करेगी।”
सिरसा के इस ट्वीट के बाद बीजेपी नेता और कुछ अन्य लोग उनके पीछे पड़ गए और पूछा कि गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद तो सिरसा कह रहे थे कि दीप सिद्धू बीजेपी का आदमी है, अब डीएसजीएमसी उसे क़ानूनी सहायता क्यों दे रही है।
बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी प्रीति गांधी ने कहा, “सब जानते हैं कि दीप सिद्धू विपक्ष का राजनीतिक मोहरा है। दीप को बीजेपी नेता के रूप में दिखाने के बाद सिरसा उसे जमानत दिलाने की कोशिश कर रहे हैं।” गांधी ने कहा कि मासूम किसानों को गुमराह किया जा रहा है।
We knew all along that #DeepSidhu was a political pawn of the opposition. After portraying him as a BJP man, now @Akali_Dal_ National Spokesperson @mssirsa is openly issuing his health bulletin & arranging for his bail! Sadly, innocent farmers were misled!#FarmersProtestHijacked https://t.co/d5hAngrn6B
— Priti Gandhi - प्रीति गांधी (@MrsGandhi) March 1, 2021
बीजेपी समर्थकों ने कहा कि बीजेपी का दीप सिद्धू से क्या रिश्ता है, इसका कोई सबूत नहीं है लेकिन सिरसा का प्यार उसके लिए उमड़ रहा है।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि दीप सिद्धू बीजेपी का नेता है और वही उसे बचाने की कोशिश कर रही है।
कभी साथ थे अकाली-बीजेपी
कुछ महीने पहले तक जब बीजेपी और अकाली दल साथ थे तो सिरसा दिल्ली विधानसभा चुनाव में अकाली दल को गठबंधन के तहत मिलने वाली सीटों में से एक पर चुनाव लड़ते थे और सहयोगी दल होने के कारण स्वाभाविक रूप से बीजेपी उनके साथ खड़ी रहती थी। लेकिन कृषि क़ानूनों के मसले पर अकाली दल के एनडीए से बाहर निकलने के बाद दोनों दलों के रिश्ते बिगड़ चुके हैं।
लाल क़िले पर हुई हिंसा के बाद दीप सिद्धू कई दिन तक फरार रहा था। कुछ दिन बाद उसे हरियाणा के करनाल से गिरफ़्तार किया गया था जबकि एक और अभियुक्त लक्खा सिढाणा को दिल्ली पुलिस अब तक गिरफ़्तार नहीं कर सकी है। 23 फरवरी को सिद्धू को दिल्ली की एक अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
कुछ दिन पहले दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने सिद्धू को घटनास्थल पर लाकर उससे यह जानने की कोशिश की थी कि लाल क़िले पर निशान साहिब को फहराए जाने की घटना को किस तरह अंजाम दिया गया। क्राइम ब्रांच की टीम ने सीन रीक्रिएट कर कई सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश की थी।
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