जमीन के बदले नौकरी केसः सीबीआई राबड़ी देवी से कर रही है पूछताछ

नौकरी के बदले जमीन मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से पटना स्थित उनके आवास पर पूछताछ कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अपने पति और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संरक्षक लालू प्रसाद यादव और 14 अन्य लोगों के साथ मामले में आरोपी हैं।

हालांकि आरजेडी ने सीबीआई की इस कार्यवाही का संबंध 2024 के चुनावों से बताया है। आरजेडी का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी बिहार में बुरी तरह हारने जा रही है, इसलिए सीबीआई के जरिए आरजेडी पर दबाव बनाया जा रहा है। बिहार सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार विपक्षी एकता की कोशिश कर रहे हैं। लालू यादव उनके साथ खड़े हैं। बीजेपी को यह सब पसंद नहीं आ रहा है।

पटना से आई शुरुआती रिपोर्टों से पता चलता है कि सीबीआई के अधिकारी भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) घोटाला मामले के संबंध में राबड़ी देवी से पूछताछ कर रहे है। यह मामला भारतीय रेलवे में नौकरी के बदले जमीन स्वीकार करने में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है।

पिछले महीने, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद, उनकी पत्नी, राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और 13 अन्य को इस केस में समन जारी किया था। इस केस में पिछले साल अक्टूबर में आरोप पत्र दायर किया था। जिसमें लालू परिवार समेत 13 लोगों के नाम थे।

चार्जशीट में कहा गया है कि जांच के दौरान, यह पाया गया कि आरोपियों ने मध्य रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक और मध्य रेलवे के सीपीओ के साथ साजिश रचकर जमीन के बदले में या तो उनके नाम पर या उनके करीबी रिश्तेदारों के नाम पर लोगों को नियुक्त किया। 

यह भूमि प्रचलित सर्किल रेट से कम और बाजार दर से काफी कम कीमत पर अधिग्रहित की गई थी। सीबीआई के बयान में कहा गया है कि यह भी आरोप लगाया गया था कि उम्मीदवारों ने गलत टीसी का इस्तेमाल किया और रेल मंत्रालय को झूठे प्रमाणित दस्तावेज जमा किए।

कथित घोटाला 2004 और 2009 के बीच हुआ था जब लालू यादव रेल मंत्री थे। चार्जशीट में आरजेडी प्रमुख के अलावा तत्कालीन रेलवे महाप्रबंधक का नाम भी शामिल है।

सीबीआई ने कहा है कि जांच से पता चला है कि उम्मीदवारों को उनकी नियुक्ति के लिए किसी एवजी (स्थानापन्न) की आवश्यकता के बिना विचार किया गया था और उनकी नियुक्ति के लिए कोई जरूरत नहीं थी जो एवजी लोगों की नियुक्ति के पीछे मुख्य मानदंडों में से एक था। लेकिन उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी गई और बाद में उन्हें नियमित कर दिया गया। अभ्यर्थियों के आवेदन पत्रों और संलग्न दस्तावेजों में कई विसंगतियां पायी गयी। उनकी नियुक्ति स्वीकृत नहीं होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा किया गया।

इसके अलावा, अधिकांश मामलों में, उम्मीदवारों ने अपने संबंधित डिवीजनों में बाद की तारीखों में अपनी नौकरी ज्वाइन की, जिससे एवजी लोगों की नियुक्ति का उद्देश्य विफल हो गया और कुछ मामलों में, उम्मीदवार आवश्यक श्रेणी के तहत अपनी मेडिकल परीक्षा पास नहीं कर सके।



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