यूपीः सपा-बसपा के लिए खतरे की घंटी, मुस्लिम उसके 'वोट बैंक' नहीं रहे 

उत्तर प्रदेश के शहरी निकाय चुनाव के आंकड़े बता रहे हैं कि मुसलमानों के वोट देने का तरीका बदल गया है। वो किसी एक पार्टी के साथ बंधे हुए नहीं हैं। उन्होंने कई जगह सपा-बसपा के मुस्लिम प्रत्याशियों को नजरन्दाज करके दूसरी पार्टियों को वोट दिया है, जिसमें भाजपा भी शामिल है। 

इंडियन एक्सप्रेस ने आंकड़ों के आधार पर मुस्लिम मतदाताओं के वोट देने के पैटर्न का विश्लेषण किया है। भाजपा के खिलाफ एक ही पार्टी के पीछे एकजुट होने के पिछले रुझानों से हटकर मुस्लिम मतदाताओं ने शहरी निकाय चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवारों के लिए वोट डाले हैं, जिनमें छोटे दलों के उम्मीदवार भी शामिल हैं। कई सीटों पर, मुसलमानों ने बसपा-सपा से अपने समुदाय के उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर निर्दलीय, आम आदमी पार्टी (आप), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को वोट दिया।

एकतरफा मतदान नहीं

वोटिंग के पैटर्न का एक अन्य पहलू यह है कि मुसलमानों ने सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ एक ब्लॉक में यानी एकतरफा मतदान नहीं किया। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा के लिए यह राहत हो सकती है। इसकी वजह यह है कि भाजपा ने अल्पसंख्यक समुदाय को खुद से जोड़ने के लिए विभिन्न आउटरीच कार्यक्रम किए हैं। यूपी एक ऐसा राज्य है, जहां सपा और बसपा के खाते में मुसलमानों का वोट डिफ़ॉल्ट पसंद के रूप में आता जाता है। मुसलमानों का वोट पाने के लिए सपा-बसपा को बिना मेहनत वोट मिलता रहा है।

मेयर चुनाव में एआईएमआईएम के अनस को मेरठ में 1.28 लाख वोट मिले और वह दूसरे स्थान पर रहे। शनिवार को हुई मतगणना के दौरान एक समय अनस आगे चल रहे थे, हालांकि बाद में बीजेपी ने उन्हें एक लाख वोटों से हरा दिया। सपा की सीमा प्रधान 1.28 लाख वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं। बसपा के हशमत 54,076 मतों के साथ चौथे और कांग्रेस के नसीम कुरैशी केवल 15,473 मत पाकर चौथे स्थान पर रहे। बसपा ने मेयर के चुनाव में सबसे अधिक मुस्लिम उम्मीदवारों (11) को मैदान में उतारा था।

एआईएमआईएम के अनस ने कहा कि समाजवादी पार्टी जो हमेशा एआईएमआईएम को भाजपा की बी टीम बताती रही है, वास्तव में बाजपा के लिए दूसरी भूमिका निभा रही है और यह सपा की वजह से थी कि हमारे उम्मीदवार अधिकांश सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को नहीं हरा सके।  

मुरादाबाद में बीजेपी के विनोद अग्रवाल ने कांग्रेस के मोहम्मद रिजवान को करीब 4 हजार वोटों से हराया। एआईएमआईएम के मुस्तजाब अहमद को जीत के अंतर से अधिक 6,215 वोट मिले, मुस्लिम वोट कई विपक्षी उम्मीदवारों में फैले हुए दिखाई दिए यानी बंट गए। बसपा के मोहम्मद यामीन 15,858 मतों के साथ तीसरे और सपा के सैय्यद रियासुद्दीन 13,447 मतों के साथ चौथे स्थान पर रहे। 

मुस्लिम बहुल सहारनपुर में बीजेपी के अजय कुमार बसपा की खदीजा मसूद को करीब 8 हजार वोटों से हराकर मेयर बने। खदीजा को 1.46 लाख वोट मिले थे। सपा के नूर हसन को 22,038 मत मिले। बरेली में भाजपा के उमेश गौतम ने लगातार दूसरी बार निर्दलीय उम्मीदवार डॉ आई. एस. तोमर को हराया। बरेली में बसपा के यूसुफ खान को 16,874 मत मिले और एआईएमआईएम के मोहम्मद सरताज को 10,356 मत मिले।

ओबीसी महिला-आरक्षित फिरोजाबाद में भाजपा की कामिनी राठौड़ ने सपा की मसरूर फातिमा को 27,000 से अधिक मतों से हराया। हालांकि, बसपा की रुखसाना बेगम को 52,695 वोट मिले, जो जीत के अंतर से कहीं ज्यादा है। प्रयागराज में, बसपा के सईद अहमद 36,799 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे। मुस्लिम वोट एआईएमआईएम के मोहम्मद नकी खान (24,023 वोट) और आप के मोहम्मद कादिर (14,253 वोट) के बीच बंटे। 

धड़ल्ले से बंट रहे हैं मुस्लिम वोट

महिलाओं के लिए आरक्षित गाजियाबाद में बसपा की निसारा खान को 63,249 वोट मिले, जबकि एआईएमआईएम की शहनाज दिलशाद को 26,045 वोट मिले, वहीं सपा की यादव उम्मीदवार को 57,608 वोट मिले। कानपुर नगर में, जो कि महिलाओं के लिए भी आरक्षित है, भाजपा की ब्राह्मण प्रत्याशी प्रमिला पांडे ने सपा और कांग्रेस के ब्राह्मण उम्मीदवारों को हराया। लेकिन एआईएमआईएम की शाहना परवीन ने 16,372 वोट पाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आप की इस्मा जहीर को भी 9,839 वोट मिले। अयोध्या में बीजेपी के ब्राह्मण उम्मीदवार ने सपा के ब्राह्मण उम्मीदवार को 35,638 मतों के अंतर से हराया। लेकिन एआईएमआईएम के रेहान को 15,107 वोट मिले, जो बसपा के 12,852 वोटों से ज्यादा थे। 

अलीगढ़ में भी मुस्लिम वोट बंटे हुए दिखाई दिए, जहां सपा के जमीरउल्लाह खान 1.32 लाख वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे। बसपा के सलमान शाहिद 49,762 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। एआईएमआईएम के गुरफान नूर को यहां 7,712 वोट मिले। बीजेपी के प्रशांत सिंघल 61,000 से ज्यादा वोटों से जीते। 

लखनऊ-शाहजहांपुर में क्या हुआः लखनऊ में बसपा की शाहीन बानो इकलौती मुस्लिम उम्मीदवार थीं, उन्हें 75,997 वोट मिले, जो सपा और कांग्रेस के हिंदू उम्मीदवारों को मिले वोटों से कम थे। ओबीसी महिला-आरक्षित शाहजहांपुर में, जहां पहली बार मेयर का चुनाव हुआ, कांग्रेस की निकहत इकबाल 50,484 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। बसपा की शगुफ्ता अंजुम को 5,545 वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रहीं। बीजेपी की अर्चना सिंह 30,278 वोटों से जीतीं। हालांकि अर्चना को सपा ने अपना उम्मीदवार घोषित किया था लेकिन वो रातोंरात भाजपा में चली गई थीं।

पश्चिमी यूपी का हाल देखिए

नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवारों को सपा और बसपा के मुस्लिम उम्मीदवारों की तुलना में अधिक वोट मिले। संभल नगर पालिका परिषद में एआईएमआईएम की आशिया ने 40,425 वोट पाकर जीत हासिल की। बसपा की अज़मा तशकील को केवल 10,175 मत मिले और सपा की रुखसाना इकबाल को 7,662 मत मिले। हाथरस जिले की सिकंदराराउ सीट पर एआईएमआईएम के मोहम्मद मुशीर ने 9,144 मत पाकर जीत हासिल की और सपा की फानूस बेगम केवल 3,745 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहीं। 

कुंदरकी नगर पंचायत चेयरपर्सन सीट पर AIMIM की जीनत ने 5,015 वोटों से जीत दर्ज की। आप की नसीमा 3,768 मतों के साथ उपविजेता रहीं और कांग्रेस की सायरा बानो को 3,072 मत मिले।

मुस्लिम वोट ठिरिया निजावत खान नगर पंचायत में भी विभाजित हो गए, जहां एआईएमआईएम के इमरान अली खान 2,993 वोट पाकर जीते, जबकि बसपा के नौशाद अली खान को 2,417 वोट और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के किस्मत अली को 2,281 वोट मिले।

आप की सना खानम ने सपा के गढ़ रामपुर नगर पालिका की अध्यक्ष सीट पर 43,121 मत पाकर जीत हासिल की। भाजपा के मुसर्रत मुजीब 32,173 मतों के साथ उपविजेता रहे और सपा की फातमा को 16,273 मत मिले। कांग्रेस की सीमा रऊफ को 1890 और बसपा की राफिया को 965 वोट मिले थे। 

शाहपुर (मुजफ्फरनगर), पाकबड़ा (मुरादाबाद), जोया (अमरोहा) और कैमरी (रामपुर) की नगर पंचायतों में भी आप के मुस्लिम उम्मीदवारों ने सपा, बसपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराया।

भाजपा के मुस्लिम प्रत्याशी जीतेः भाजपा ने पहली बार मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था और उसके सभी पांच उम्मीदवारों ने गोपामऊ (हरदोई), सुल्तानपुर चिलकाना (सहारनपुर), सिरिसी (संभल), धौराटांडा (बरेली) और भोजपुर धर्मपुर (मुरादाबाद) से जीत हासिल की थी। सिरसी में, बसपा के कौसर अब्बास ने सपा, बसपा, कांग्रेस, रालोद और निर्दलीय उम्मीदवारों के 12 अन्य मुस्लिम उम्मीदवारों को हराया। धौराटांडा में, भाजपा के नदीम उल हसन (6,417 वोट) ने सपा (5,465 वोट) और एआईएमआईएम (2,034 वोट) के मुस्लिम उम्मीदवारों को हराया।

भोजपुर धर्मपुर में भाजपा की फरखंदा ज़बीन ने सपा (3,934 वोट), बसपा (1,890 वोट) और एआईएमआईएम के उम्मीदवारों को हराकर 7,816 मतों से जीत हासिल की। 

भाजपा के मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए समर्थन और विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच मुस्लिम वोटों का विभाजन दर्शाता है कि भाजपा के लिए उनकी (मुसलमानों की) नफरत धीरे-धीरे कम हो रही है। पहले, यह माना जाता था कि मुसलमान उस पार्टी को वोट देते हैं जो भाजपा को हराने के लिए सबसे बेहतर स्थिति में दिखाई देती है। लेकिन अब वे हर राजनीतिक दल के उम्मीदवारों को वोट दे रहे हैं।

मेरठ में सपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, हमारे नेतृत्व को कम से कम नींद से जागना चाहिए, नहीं तो हम उत्तर प्रदेश में अगले आम चुनावों तक राजनीतिक पतन के करीब पहुंच जाएंगे।



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