कर्नाटक के मनोनीत सीएम सिद्धारमैया और उनके डिप्टी डीके शिवकुमार ने गुरुवार देर रात को राज्यपाल थावर चंद गहलोत से मुलाक़ात की। उनके सामने एक कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले सिद्धारमैया और शिवकुमार ने अगली सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल ने उनके दावे को स्वीकार करते हुए उन्हें शनिवार को शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया है।
यह घटनाक्रम कांग्रेस विधायक दल द्वारा औपचारिक रूप से सिद्धारमैया को अपना नेता चुने जाने के बाद आया है। कांग्रेस द्वारा सिद्धारमैया के नाम पर सीएम पद के लिए मुहर लगने के बाद गुरुवार देर शाम को विधायक दल की बैठक हुई थी। उसमें उन्हें नेता चुना गया।
I thank all my MLA friends for electing me as the leader of Congress Legislature Party
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) May 18, 2023
Let us together give good governance and able administration for the benefit of our people. pic.twitter.com/EgB0QLBQLw
शपथ ग्रहण में दिखेगी विपक्षी एकता!
शपथ ग्रहण समारोह को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी दलों की एकता के प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा सकता है। ऐसा इसलिए कि शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव और अन्य को निमंत्रण दिया है। समान विचारधारा वाले दलों के अन्य लोगों में बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी शामिल हैं।
नीतीश कुमार पिछले कुछ महीनों से लगातार विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में लगे हुए हैं। वह ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, शरद पवार, नवीन पटनायक, उद्धव ठाकरे सहित कई नेताओं से मुलाक़ात कर चुके हैं। वह कहते रहे हैं कि 2024 के लिए वह समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों को एकजुट करना चाहते हैं।
बहरहाल, पाँच दशकों से अधिक के राजनीतिक अनुभव वाले एक पिछड़े वर्ग के नेता 75 वर्षीय सिद्धारमैया को कर्नाटक के तीन शेष रहे जन नेताओं में से एक माना जाता है। उनके अलावा दो अन्य नेता हैं- जेडीएस के 91 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा और बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा।
विधानसभा में कांग्रेस की इस जीत के बाद जब मुख्यमंत्री चुना जा रहा था तो सिद्धारमैया की जन नेता की छवि को जाहिर तौर पर ध्यान में रखा गया होगा। वैसे, केपीसीसी के अध्यक्ष और कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र से आठ बार विधायक रहे डीके शिवकुमार को कर्नाटक में पार्टी की जीत के सूत्रधार के रूप में देखा जा रहा है।
यही वजह है कि सिद्धारमैया और शिवकुमार में से एक को मुख्यमंत्री चुनने में कांग्रेस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। गुरुवार को ही इस मामले में सहमति बन पाई और इसकी औपचारिक घोषणा की गई।
बता दें कि कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कांग्रेस पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट, कर्नाटक के कांग्रेस विधायकों की राय के आधार पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाने का फ़ैसला किया है।
वेणुगोपाल ने कहा कि शिवकुमार संसदीय चुनाव के अंत तक पीसीसी अध्यक्ष के रूप में बने रहेंगे। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों के समूह को 20 मई को शपथ दिलाई जाएगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डीके शिवकुमार का ट्वीट भी सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि कर्नाटक के हित में फैसला लिया गया है।
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