कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल अब तनावपूर्ण होता दिख रहा है। अब तक मुज़फ्फरनगर के सोरम गांव जैसी कोई घटना नहीं हुई थी। इस घटना के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी नेताओं का विरोध बढ़ सकता है। राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने सोरम की घटना के विरोध में 26 फ़रवरी को पंचायत करने का एलान किया है।
क्या हुआ था सोरम में
मुज़फ्फरनगर से दो बार सांसद और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान सोमवार को सोरम गांव पहुंचे थे। यहां वह अपने समर्थकों के साथ तेरहवीं में शामिल होने आए थे। लेकिन यहां बीजेपी और आरएलडी के कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो गई। बताया गया है कि मारपीट बालियान मुर्दाबाद के नारे लगने के बाद हुई।
मारपीट के विरोध में सैकड़ों लोग नज़दीक के शाहपुर थाने में इकट्ठा हो गए और आरोपियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि बालियान के साथ आए बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने मारपीट की है।
उधर, बालियान ने कहा कि आरएलडी के लोगों ने वहां पहुंचकर नारेबाज़ी की और माहौल ख़राब किया। लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है। इससे पहले बालियान रविवार को जब लिसाड़ और भैंसवाल गांव में पहुंचे थे तो वहां भी उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा था।
गांवों का माहौल न बिगड़े: टिकैत
सोरम की घटना से नाराज़ किसानों ने कहा है कि वे हर जगह बीजेपी के नेताओं के ख़िलाफ़ इसी तरह नारेबाज़ी करेंगे। हालांकि राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान बीजेपी नेताओं से शालीनता से बात करें और अपने सवाल पूछें। उन्होंने कहा कि ध्यान रखें कि गांवों का माहौल न बिगड़े। उनके भाई नरेश टिकैत ने कहा है कि सांसद व विधायक गांवों में जाने से बचें।
आरएलडी ने लपका मामला
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी ज़मीन खो चुकी आरएलडी ने सोरम की घटना को लपक लिया है और 26 फ़रवरी को पंचायत बुलाई है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने मारपीट में घायल लोगों के फ़ोटो ट्वीट कर कहा कि किसान के पक्ष में बात नहीं होती तो कम से कम, व्यवहार तो अच्छा रखो और किसान की इज़्ज़त करो! आरएलडी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने सोरम की पंचायत को सफल बनाने के लिए पूरी ताक़त झोंक दी है।
सवाल यह है कि अगर सोरम जैसी घटना दूसरी जगहों पर भी होती है तो क्या होगा। ऐसी घटना होने से इनकार भी नहीं किया जा सकता क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों ने कई गांवों में ‘बीजेपी नेताओं का आना मना है’, लिखे पोस्टर लगाए हैं। हरियाणा के कैमला में तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तक का कार्यक्रम किसानों ने नहीं होने दिया था।
किसान आंदोलन के बड़े चेहरे राकेश टिकैत भी मुज़फ्फरनगर से आते हैं और संजीव बालियान भी। जब केंद्रीय मंत्री का इतना जोरदार विरोध हो सकता है तो बीजेपी के बाक़ी नेताओं-कार्यकर्ताओं को तो और जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जब लोग आमने-सामने आएंगे तो निश्चित रूप से इलाक़े में तनाव बढ़ेगा।
मौक़े की नज़ाकत को देखते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह मंगलवार को सोरम पहुंच गए और किसानों से मुलाक़ात की। अजित सिंह संजीव बालियान से बहुत मामूली मतों से चुनाव हारे थे।
एतिहासिक गांव है सोरम
सोरम बहुत पुराना और एतिहासिक गांव है। कहा जाता है कि राजा हर्षवर्धन द्वारा स्थापित खाप पंचायतों के समय से यह खापों के मुख्यालय के रूप में स्थापित है। आज भी यह 4 प्रदेशों (पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब) की सर्वखाप पंचायत का मुख्यालय है। यहां हुई मारपीट की घटना सोशल मीडिया के जरिये सभी जगह पहुंच चुकी है और यह बीजेपी को भारी पड़ सकती है।
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